कभी Cab चलाते थे 110 मिलियन डॉलर के मालिक रिपुदमन सिंह मलिक, Air India की फ्लाइट को उड़ाने में भी आया नाम; 6 माह पहले की थी PM मोदी की तारीफ
वैंकुवर. कनाडा के वैंकूवर में पंजाबी मूल के सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक का बीते दिन कत्ल कर दिया गया। परिवार के मुताबिक गुरुवार देर रात करीब साढ़े 9 बजे (IST) 75 वर्षीय मलिक पर उस वक्त हमला कर दिया गया, जब वह कार से अपने ऑफिस जा रहे थे, वहीं मौके के गवाहों का कहना है कि तीन गोलियां चलने की आवाज सुनाई दी। फायरिंग काफी करीब से की गई थी। उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। हालांकि हत्या की वजह साफ नहीं हो पाई है, लेकिन माना जा रहा है कि उन पर हमला भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंशा करने की खुंदक में किया गया है। ऐसा मानने के पीछे भी एक वजह है कि कभी खालिस्तानी मूमैंट के समर्थक थे। आइए मलिक के एक टैक्सी ड्राइवर से एअर इंडिया (Air India) की फ्लाइट में बम ब्लास्ट में नाम आने, 110 मिलियन डॉलर की संपत्ति का मालिक बनने और हत्या तक की पूरी कहानी तफसील से जानते हैं…
भारत के पंजाब में जन्मे रिपुदमन सिंह मलिक वर्ष 1972 में कनाडा गए थे, वहां जाकर उन्होंने कैब ड्राइवर के तौर पर काम शुरू किया था। बाद में एक कामयाब व्यवसायी बन गए। रिपुदमन सिंह मलिक कनाडा के सतनाम एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष थे और खालसा स्कूल चलाते थे। इनके स्कूल में कनाडा के पाठ्यक्रम के अलावा पंजाबी भाषा और सिख इतिहास भी पढ़ाया जाता है। वह खालसा क्रेडिट यूनियन (KCU) के अध्यक्ष रहे, जिसकी संपत्ति 110 मिलियन डॉलर से अधिक बताई जा रही है।
4 साल जेल में भी गुजारे
रिपुदमन सिंह मलिक पहले खालिस्तान मूवमेंट के हिमायती थे, लेकिन बाद में उनकी सोच में बदलाव आ गया। हालांकि खालिस्तान समर्थक होने के कारण ही अब से 37 साल पहले एक बम धमाके में भी उनका नाम आया था। बात 23 जून 1985 की है, जब मांट्रियल से नई दिल्ली आ रहा एअर इंडिया (Air India) का कनिष्क विमान आइरिश क्षेत्र में जोरदार धमाके के साथ समुद्र में गिर गया था। उस विमान में 22 क्रू मैंबर्स थे, वहीं कुल 331 सवारियों में ज्यादातर भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक शामिल थे। समुद्र से सिर्फ 132 लोगों की ही लाशें मिली थी, बाकी का कोई पता नहीं चला। इस मामले में रिपुदमन सिंह मलिक, इंद्रजीत सिंह रेयात और अजायब सिंह बागड़ी तीनों मुख्य आरोपी थे। बीस साल बाद 2005 में तीनों को इस मामले में बरी कर दिया गया। मलिक ने 4 साल जेल में गुजारने के चलते 9.2 मिलियन डॉलर के कानूनी हर्जाने के लिए भी आवाज उठाई थी, लेकिन इसे ब्रिटिश कोलंबिया की अदालत ने रद्द कर दिया था।
बब्बर खालसा से थे लिंक
रिपुदमन सिंह मलिक 1992 में पंजाब पुलिस द्वारा मारे दिए गए तलविंदर सिंह परमार के बहुत करीबी थे। यह वही नाम है, जो 1992 से पहले आतंकी संगठन बब्बर खालसा का हैड करता था। उसके दो रिश्तेदार भी लमक के स्कूल में काम करते रहे हैं। भारत समेत कई देशों में यह संगठन एक आतंकी संगठन की तरह ट्रीट किया जाता है और इसके हैड परमार के साथ नाम जुड़े होने के कारण रिपुदमन सिंह के भी भारत आने-जाने पर भी रोक लगाई गई थी। 2019 में ही रिपुदमन सिंह के नाम से यह रोक हटी थी। विचारधारा बदलने के बाद आखिरी वक्त तक रिपुदमन सिंह मलिक सिख समुदाय के लोगों को अलगावादी नेताओं से दूर रहने के लिए प्रेरित करते रहे। समुदाय के लिए उठाए गए कदमों के एवज में रिपुदमन सिंह मलिक ने इसी साल जनवरी में पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया था।
ये है आशंका
बीती रात रिपुदमन सिंह की किसी ने गोली मारकर हत्या कर दी। गोली किसने और क्यों चलाई, इस बात का पता नहीं चल सका है। इस बारे में वैंकुवर पुलिस को आशंका है कि हमलावर कार से आए थे और फिर बाइक पर सवार होकर रिपुदमन के करीब पहुंचकर गोलियां चलाई हैं। सबूत मिटाने के लिए हमलावरों ने कार को जला दिया। जलती कार के फुटेज सामने आए हैं। यह कार हत्या वाली जगह से कुछ दूर ही जलती मिली। भले ही हत्या का कारण साफ नहीं है, लेकिन विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार माना जा रहा है कि मोदी की तारीफ करने के चलते कट्टरपंथियों ने ही टारगेट किलिंग की है।