टैलिफोन क्रांति लाने वाले पंडित सुखराम नहीं रहे, AIIMS दिल्ली में ली आखिरी सांस
दिल्ली/मंडी. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता पंडित सुखराम शर्मा का 95 साल की उम्र में निधन हो गया। ब्रेन स्ट्रॉक के चलते पंडित सुखराम को 7 मई को दिल्ली के AIIMS में भर्ती करवाया गया था। वह वैंटिलेटर पर थे। पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा ने मंगलवार रात को फेसबुक (Facebook) पर एक भावुक संदेश लिखा, ‘अलविदा दादा जी, अब नहीं बजेगी फोन की घंटी’। आश्रय शर्मा ने अपने दादा के साथ बचपन की एक फोटो भी शेयर की है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा कि पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री सुखराम के निधन से कांग्रेस और हिमाचल को नुकसान हुआ है। हिमाचल कांग्रेस सात दिन तक शोक मनाएगी। इस दौरान पार्टी का कोई कार्यक्रम प्रदेश में नहीं होगा।
ध्यान रहे, पंडित सुखराम वह व्यक्ति थे, जिन्होंने देश में पहली बार फोन पर बात की थी। पंडित सुखराम को सूचना क्रांति के मसीहा के रूप में जाना जाता है। 31 जुलाई 1995 को देश की पहली कॉल (ज्योति बसु ने कोलकाता के राइटर बिल्डिंग से दिल्ली के संसद भवन में मिलाया) को वहां मौजूद तत्कालीन संचार मंत्री पंडित सुखराम ने अटैंड करके कहा था-‘हैलो मैं सुखराम बोल रहा हूं’।
पंडित सुखराम का जन्म 22 जुलाई 1927 को हुआ था। 1993 से 1996 तक उन्होंने नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्री काल में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में भी कार्य किया। सुखराम हिमाचल प्रदेश के मंडी से लोकसभा सांसद भी रहे। उन्होंने 5 बार विधानसभा चुनाव और 3 बार लोकसभा चुनाव जीता था। पंडित सुखराम के बेटे अनिल शर्मा इस हिमाचल प्रदेश के मंडी से भाजपा विधायक हैं, जबकि उनके पोते आश्रय शर्मा एक्टर हैं। उनकी शादी साल 2014 में सलमान खान की छोटी बहन अर्पिता से हुई थी।
90 के दशक में एक जनसभा उन्होंने कह दिया था कि एक दिन आप सबकी जेब में मोबाइल फोन होगा तो उनकी बात को संदेह भरी नजरों से देखा गया। लोगों ने सवाल किया कि घरों में पर्याप्त लैंडलाइन नहीं है और मोबाइल फोन की बातें हो रही हैं। सुखराम पर आरोप लगे कि मंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए 3 लाख रुपए की रिश्वत लेकर उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी को सामान सप्लाई करने का ठेका दिया, जिससे सरकार को 1.66 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। एक कंपनी को उन्होंने दूरसंचार विभाग को 30 करोड़ रुपए के केबल बेचने के लिए ठेका दिया था और इसके एवज में पैसा लिया। 2011 में उन्हें दोषी पाया गया और पांच साल की सजा दी गई। इससे पहले सुखराम को आय से अधिक संपत्ति के मामले में 2009 में दोषी ठहराया गया। उन पर 4.25 करोड़ रुपए अवैध तरीके से कमाने के आरोप लगे थे।