International Tiger Day: सबसे लंबी उम्र जीने वाले इस बाघ के माथे पर काले रंग से किसने लिखा था CAT, कैसे हुई मौत
भोपाल. आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) है। इस दिन खास दिन पर शब्द चक्र न्यूज एक खास बाघ की यादों से आपको रू-ब-रू करा रहा है। आज भले ही देश का सबसे लंबा जीने वाला मुन्ना नामक यह बाघ हमारे पर्यटन का हिस्सा नहीं है, लेकिन इसकी यादें हमेशा हजारों दिलों में जिंदा रहेंगी। मध्य प्रदेश टूरिज्म ने मुन्ना को लेकर एक वीडियो अपने ट्विटर हैंडलर पर शेयर किया है। ऐसी है मुन्ना की कहानी…
देश के सबसे मशहूर बाघों में से एक मुन्ना का जन्म वर्ष 2002 में हुआ था। वैसे तो वन्य प्राणी संरक्षण विभाग के पास इसका मूल नाम टी-17 दर्ज था, लेकिन एक गाइड ने अपने एक दोस्त के नाम पर इसे पहली बार मुन्ना के नाम से पुकारा तो यही इसका नाम हो गया। वन्य प्राणी विशेषज्ञों की मानें तो बाघों की औसत उम्र 12 से 15 साल होती है, लेकिन मुन्ना औसत उम्र से कहीं अधिक यानि 19 साल जीया। मुन्ना के माथे पर कुदरती रूप से अंग्रेजी में ‘CAT’ और ‘PM’ लिखा हुआ था। इसी वजह से पूर्वी मध्य प्रदेश के मंडला जिले के कान्हा टाइगर रिजर्व (KTR) में बहुत से पर्यटक सिर्फ उसे ही देखने आते थे।
????? एक ऐसा बाघ, जिसके माथे पर कुदरती रूप से ‘???’ और ‘??’ लिखा हुआ था। @TrKanha में कई पर्यटक सिर्फ उसे देखने आते थे। #InternationalTigerDay #TigerStateMP #JansamparkMP @mptfs @ntca_india @van_vihar @moefcc pic.twitter.com/ISUwYdF55Q
— Department of Forest, MP (@minforestmp) July 29, 2022
2017 से 2019 के बीच करीब 2 साल में आबादी वाले क्षेत्र में पहुंचने से मुन्ना ने 26 पालतू पशुओं का शिकार किया, वहीं दो लोगों को घायल भी किया। 18 अक्टूबर 2019 को ग्राम झांगुल की कुमारी अमृता को मारकर अपना पेट भरने की कोशिश की थी। ऐसे में उसे KTR से भोपाल के वन विहार स्थित नैशनल पार्क पहुंचा दिया गया। हालांकि जब मुन्ना को यहां लाया गया तो इसके दांत टूट चुके थे। लकवाग्रस्त होने की वजह से शिकार में भी दिक्कत हो रही थी। साथ ही उसकी टैरिटरी में दूसरे जवान बाघों का मूवमेंट भी होने लगी था। वर्चस्व की लड़ाई (Territorial Fight) में उसकी मौत होने का डर था।
नैशनल पार्क में एक बार तो वन्य प्राणी विशेषज्ञों की टीम ने मुन्ना को स्वस्थ कर दिया था, लेकिन एक साल बाद जब दोबारा लकवा हुआ तो वृद्धावस्था के कारण वह इससे उबर नहीं पाया और 7 मार्च 2021 को अपनी हाउसिंग में मृत पाया गया। इस बारे में नैशनल पार्क के डिप्टी डायरैक्टर अशोक कुमार जैन ने बताया था कि आठ दिन से मुन्ना की तबीयत ठीक नहीं थी। उसके पिछले पैरों में लकवा हो गया था, वह चल नहीं पा रहा था। वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉ. अतुल गुप्ता की निगरानी में मुन्ना का इलाज चल रहा था। आखिर वह अपनी हाउसिंग में मृत पाया गया।