Uncategorized

Independence Day: 41 साल में 5 बार बदली आजादी के गवाह ‘राष्ट्र ध्वज’ की रंगत, जानें रोचक कहानी

फीचर डैस्क. कभी सोने की चिड़िया कहलाने वाली हमारी भारत भूमि पर जुल्म करने में विदेशी आक्रांताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी। हमारे अनेक वीरों ने अपने-अपने अंदाज में इस जबर-जुल्म को टक्कर दी। नतीजतन 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत को हमारी यह धररा छोड़कर जाना पड़ा और आज हम आजाद आब-ओ-हवा में सांस ले रहे हैं। इसी कुर्बानी, खुशहाली और शांति का प्रतीक है हमारा राष्ट्र ध्वज, जिसे हम शान से विजयी विश्व तिरंगा कहते हैं। अब आजादी के 76 वर्ष पूरे हो चले हैं और इस विशेष अवसर को समस्त भारतवर्ष में ‘राष्ट्र पहले, हमेशा पहले’ (Nation First, Always First) थीम के तहत मनाया जाना है। इस शुभावसर पर हम राष्ट्र ध्वज के उन्नति पथ में आए अहम पड़ावों का स्मरण करा रहे हैं। जानें, कैसा रहा आजादी के उत्सव के साक्षी हमारे राष्ट्र ध्वज का रंगों का सफर…

यह बात हर कोई जानता और मानता है कि किसी भी विशेष अभियान को एक अंजाम तक पहुंचाने के लिए उससे जुड़े जनसमूह को भावनात्मक रूप से बांधे रखना बेहद जरूरी होता है। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के लिए ध्वज के रूप में एक विशेष चिह्न का निर्धारण करना भी इसी प्रक्रिया का है।

कमल के 8 फूल थे पहले हमारे राष्ट्र ध्वज में

आजादी की भावना को लेकर  1906 में कलकत्ता में भारत का जो पहला राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था, उसकी संरचना मौजूदा समय में हमारे दिलों पर राज कर रहे तिरंगे से कहीं भिन्न थी। इस झंडे में हरे, पीले और लाल रंग की पट्टियां थी। ऊपर की हरी पट्टी में सफेद रंग के कमल के 8 फूल थे। बीच की पीली पट्टी में नीले रंग से वन्दे मातरम् लिखा हुआ था। सबसे नीचे की लाल पट्टी में सफेद रंग से चांद और सूरज बने थे।

ऐसा था निर्वासित क्रांतिकारियों द्वारा पेरिस में फहराए गए झंडे का रूप

निर्वासित कर दिए गए मैडम भीकाजी कामा और उनके कुछ क्रांतिकारी साथियों ने वर्ष 1907 में भारतीय स्वाधीनता संग्राम का दूसरा नया झंडा प्रस्तावित किया। पेरिस में फहराए गए भारतीय राष्ट्र ध्वज के इस दूसरे स्वरूप में केसरिया, पीले और हरे रंग की तीन पट्टियां थी। बीच में वन्दे मातरम् लिखा था, वहीं इसमें चांद और सूरज के साथ 8 सितारे भी शामिल किए गए।

1917 में एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने फहराया था यूनियन जैक वाला झंडा

10 साल बाद 1917 में देश के लिए एक और नया झंडा प्रस्तावित किया गया। डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक द्वारा फहराए गए इस झंडे में लाल रंग की पांच और बीच-बीच में हरे रंग की चार पट्टियां थी। झंडे की दाईं ओर काले रंग में त्रिकोण बना थी। वहीं, बाईं तरफ के कोने में यूनियन जैक भी था। इसके अलावा चांद और एक तारे के साथ, इसमें सप्तऋषियों को दर्शाते सात तारे भी शामिल किए गए।

1921 में महात्मा गांधी ने दिया नया राष्ट्र ध्वज

साल 1921 में एक बार फिर भारत के राष्ट्रीय ध्वज में बदलाव किए गए। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में आंध्र प्रदेश के एक व्यक्ति ने महात्मा गांधी को एक झंडा दिया, जो हरे और लाल रंग का था। गांधीजी को यह झंडा पसंद आया, लेकिन उन्होंने इसमें थोड़ा बदलाव करते हुए सबसे ऊपर सफेद रंग की एक पट्टी और जुड़वा दी।  साथ ही देश के विकास को दर्शाने के लिए बीच में चलता हुआ चरखा भी दर्शाया गया।

1931 में फिर चौथी बार बदला राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप

1931 में प्रस्तावित स्वाधीनता संग्राम के प्रतीक ध्वज का पांचवां स्वरूप कुछ अलग ही था। इसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरे रंग की पट्टी थी तो बीच की सफेद पट्टी में राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक चरखे का पूरा चित्र छोटे आकार में चरखा दर्शाया गया। इंडियन नेशनल कांग्रेस ने झंडे के इस नए रूप को आधिकारिक तौर पर अपनाया था।

ये है आजाद भारत का राष्ट्र ध्वज

फिर जब 15 अगस्त 1947 को स्वाधीनता संग्राम का परिणाम निकला तो उस वक्त आजाद भारत के राष्ट्र ध्वज के रूप में जो चिह्न प्राप्त हुआ, यही वो विजयी विश्व तिरंगा है। जहां तक बदलाव की बात है, इसमें चरखे की जगह नीले रंग में मौर्य सम्राट अशोक के धर्म चक्र को मिली। 22 जुलाई 1947 में संविधान सभा की बैठक में आजाद भारत के नए राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार किए गए पिंगली वैंकेया द्वारा तैयार हमारे झंडे के इस प्रारूप में केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरे रंग की पट्टियां समानुपात में हैं। मानक स्वरूप का आकार तीन गुणा दो (लंबाई-चौड़ाई) का है।

Show More

Related Articles

Back to top button
Hacklinkbetsat
betsat
betsat
holiganbet
holiganbet
holiganbet
Jojobet giriş
Jojobet giriş
Jojobet giriş
casibom giriş
casibom giriş
casibom giriş
xbet
xbet
xbet
grandpashabet
grandpashabet
grandpashabet
İzmir psikoloji
creative news
Digital marketing
radio kalasin
radinongkhai
gebze escort
casibom
casibom
grandpashabet
grandpashabet
casibom
pusulabet
casibom resmi
jojobet giriş
casibom
casibom güncel giriş
imajbet
İstanbul Escort
istanbul masöz
izmir masöz
Betturkey giriş
ataşehir escortjojobetdeneme bonusu veren sitelerdeneme bonusu veren siteler 2024deneme bonusu veren siteler 2024fethiye escortfethiye escortmarsbahismarsbahisescort esenyurtporno izledeneme bonusu veren sitelercasibomhd porndeneme bonusu veren siteler
Mapseskişehir web sitesiseo fiyatlarıMetafizikMedyumAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika Eşya alanlarAntika Eşya alanlarantikaİzmir Medyumweb sitesi yapımıdeneme bonusu veren siteler forumkamagra jelmeritkingdinimi bunusu virin sitylrAt penisi bonusu veren siteler