24 साल पहले जाटों की इस संस्था का प्रधान रह चुके ‘हनुमान’, दो पत्नियों से हैं 6 संतान; जानें और रोचक बातें
चंडीगढ़. देशभर में पिछले कुछ बरसों से एक मुद्दा बेहद गर्म है, जाट आरक्षण आंदोलन। बड़ी दिलचस्प बात है कि कभी इस मांग को ‘हनुमान’ भी उठा चुके हैं। उन्होंने हरियाणा से ही हुंकार भरी थी। उस वक्त यह मांग अखिल भारतीय जाट महासभा के बैनर तले उठी थी, जिसके प्रधान ‘बजरंग बली हनुमान’ रह चुके हैं। अब इस संस्था की अध्यक्षता पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कर रहे हैं। अजी जनाब कहां पहुंच गए? शब्द चक्र न्यूज असली के हनुमान नहीं, बल्कि पर्दे के हनुमान यानि रुस्तम-ए-हिंद दारा सिंह की बात कर रहा है। आज 12 जुलाई को हनुमान के नाम से मशहूर हुए महावीर दारा सिंह रंधावा की पुण्यतिथि है और 19 जुलाई को जन्मदिवस भी है। आइए उनके जीवन के बारे में और भी बहुत सारी रोचक बातें जानें…
बता दें कि दारा सिंह का जन्म 19 जुलाई 1928 को संयुक्त पंजाब के सूरत सिंह और बलवंत कौर के जाट परिवार में हुआ था। जब देश आजाद हुआ तो दारा सिंह 19 साल के नवयुवक हो चुके थे। उसी दौरान सिंगापुर जाकर ड्रम मैन्युफैक्चरिंग मिल में काम करना शुरू किया था। वहीं से उन्होंने ग्रेट वर्ल्ड स्टेडियम के कोच हरनाम सिंह को गुरु मानकर कुश्ती की ट्रेनिंग लेनी शुरू की थी। कुछ साल दारा सिंह ने प्रोफैशनल रैसलिंग शुरू कर दी। सन 1959 में वह सबसे पहले ‘कॉमनवेल्थ चैंपियन’ बने। इसके बाद 60 से 80 के दशकों में उन्होंने ‘बिल वर्ना’, ‘फ़िरपो जबिस्जको’, ‘जॉन दा सिल्वा’, ‘रिकिडोजन’, ‘डैनी लिंच’ और ‘स्की हाय ली’ जैसे धाकड़ पहलवानों को धूल चटाकर दुनियाभर में भारतीय पहलवानी का डंका बजाया। इन्हीं में से एक ऑस्ट्रेलियाई पहलवान किंग कॉन्ग को दुनिया का सबसे खतरनाक रैसलर माना जाता था, पर बड़े गजब की बात है कि 130 किलो के दारा सिंह ने 200 किलो के किंग कॉन्ग को उठाकर अखाड़े के बाहर फैंक दिया था। कुश्ती के इतिहास में आज भी उस मुकाबले को लोग याद करते हैं। इसी बीच 1954 में टाइगर जोगिंदर सिंह को हराकर दारा सिंह रुस्तम-ए-हिंद बने थे। अपनी जिंदगी में दारा सिंह ने 500 फाइट लड़ी और उनमें से एक में भी वह हारे नहीं।
दारा सिंह ने 1952 में आई फिल्म संगदिल से रूपहले पर्दे पर कदम रखा था। 1962 में किंग कॉन्ग में दारा सिंह लीड एक्टर के रूप में उभरे। फिल्म हिट रही, लेकिन इसे बी ग्रेड का सर्टिफिकेट मिला। उन्होंने 500 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, जिनमें से 16 में मुमताज के साथ उनकी जोड़ी बेहद हिट थी। 1980 में रामानंद सागर के धारावाहिक रामायण में हनुमान का रोल निभाने के बाद दारा सिंह को घर-घर में पहचाना जाने लगा। हालांकि इससे पहले 1976 में आई फिल्म बजरंग बली में भी उन्होंने हनुमान का ही रोल प्ले किया था।
1998 में दारा सिंह अखिल भारतीय जाट महासभा के प्रधान बने। उन्होंने हरियाणा की धरती से जाट समुदाय को आरक्षण दिए जाने की मांग उठाई थी। इसके उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वायन कर ली। 2003 से 2009 तक राज्यसभा सांसद रहे। वह राज्यसभा में चुने जाने वाले पहले खिलाड़ी रहे। दारा सिंह को 7 जुलाई 2012 को दिल के दौरे के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया। दो दिन बाद पता चला कि दारा सिंह का ब्रैन डैमेज हो गया है तो 11 जुलाई को अस्पताल से डिस्चार्ज हो गए। उनका कहना था, ‘लंबी उम्र के लिए कुछ नहीं किया जा सकता’ और फिर अगले ही दिन 12 जुलाई 2012 को दारा सिंह की मौत हो गई थी। उनका अंतिम संस्कार मुंबई के जुहू में किया गया था। 1942 में दारा सिंह की शादी पंजाबी एक्ट्रैस बचनो कौर से हुई थी। हालांकि ये रिश्ता 10 साल बाद ही टूट गया। 1961 में सुरजीत कौर रंधावा से दूसरी शादी हुई, जिनका साथ मरते दम तक रहा। दोनों पत्नियों से दारा सिंह के 6 बच्चे हैं।