Sex Worker बनकर रह गया हीरो बनने चला Sunny Doel का फैन, पढ़ें दर्दभरी दास्तां
जयपुर. अपने सपने को पूरा करने के लिए आदमी को बहुत संघर्ष करना पड़ता है। कई बार तो यह संघर्ष आदमी को खुद की ही नजरों में गिरा देता है। ऐसी ही एक कहानी अवधेश शर्मा नामक एक युवक की भी है। यह बॉलीवुड अभिनेता सन्नी देओल का फैन है। सन्नी देओल बनने का सपना पालकर मुंबई गया था, लेकिन वहां जाकर महज एक मेल सैक्स वर्कर यानि जिगोलो (Call Boy) बनकर रह गया। एकदम B Grade Movie BA Pass के मुकेश की तरह। आइए इस दर्दभरी दास्तां को थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
मूल रूप से राजस्थान के एक मिडल क्लास परिवार से ताल्लुक रखते अवधेश शर्मा ने बताया कि वह चार भाई-बहन में सबसे छोटा है। इसी लिए अपनी बात मनवा लेता था। बचपन से ही सनी देओल इसे बहुत पसंद थे। ग्रेजुएशन के बाद करीब 10 साल पुराने एक दोस्त के भरोसे मुंबई चला गया। दिमाग में यही था कि मुंबई जाकर सनी देओल बनना है, लेकिन वहां जाकर जो हुआ, उस पर कोई भरोसा नहीं करता। कोई करे भी क्यों?
बकौल अवधेश, मैं बांद्रा स्टेशन पर उतरा तो रात का वक्त था। ऑटो रिक्शा से मलाड स्थित अपने दोस्त के घर पहुंचा तो आवभगत के बाद वह पूछने लगा कि भाई ठिकाना कहां रहेगा? यह सुनकर मेरे होश उड़ गए। मैंने उससे कहा कि यार मैं तो तुम्हारे ही भरोसे आया हूं। इस पर उसने कहा कि नहीं, यह मुंबई है मेरी जान, यहां कोई किसी को नहीं रखता। इसके बाद मैंने पूरी रात उसके घर के सामने एक पार्क में बैठकर बिताई। अगली सुबह एक लड़का मिला, जिसके साथ मैं चला गया। खर्चे में थोड़े-बहुत पैसे देने के साथ मैं कुछ दिन वहां रहा। मुझे टीवी सीरियल ‘माता की चौकी’ में मुंह पर मुखौटा लगाकर खड़े रहने का काम मिला।
मैं अक्सर घर की खिड़की से एक लड़के को देखता था कि वह कार में बैठता और सुरखी-पाउडर लगाकर सजने-संवरने लगता। एक दिन दूध की दुकान पर हाय-हैलो के बाद धीरे-धीरे हम दोनों में बात होने लग गई। हर शाम सजने-संवरने का राज पूछने पर उसने बताया कि वह पार्टी में जाता है। उसके कहने पर मैं भी उसके चला गया। वहां लड़के-लड़कियां, ट्रांसजैंडर, गे, लैस्बियन सब थे। भारी घुटन के बीच आधी रात के बाद तक हम वहां रहे। लौटते वक्त मैंने काम की बात की तो उसका जवाब था-ऐसे डरे-सहमे और सिकुड़कर बैठने से काम नहीं मिलता। यही तो काम पाने की पहली सीढ़ी है यहां।
कुछ दिन बाद उस लड़के ने मुझे एक आदमी के पास भेजा तो उसने मेरे साथ वो सब किया, जिसे आम भाषा में लोग कुकर्म कहते हैं। मुझे पता तो था कि मेरे साथ हो क्या रहा है, लेकिन शायद खाने में नशे की वजह से कुछ कर नहीं पाया। वहां से लौटने के बाद चार दिन तक मैं बंद कमरे में रोता रहा। काम नहीं होने की वजह से भूखा मरने की नौबत आ गई थी, मगर घर वापस आना भी संभव नहीं था। आखिर उसी आदमी का फोन आया तो मैं मन मारकर फिर से उसके पास चला गया। इस बार वही गंदा काम हम दोनों की सहमति के साथ हुआ। उससे मिले नए संपर्क पर गया तो वहां सुनने को मिला, ‘सुना है तुम काफी अच्छा काम करते हो’। चायपान के बाद वह मुझे बैडरूम में ले गया तो वहां पहले से एक और लड़का मौजूद था। ग्रुप सैक्स के लिए मैंने मना कर दिया तो वो लड़का वहां से चला गया। काफी इंजॉय करने के बाद उस आदमी ने मुझे चौबीस घंटे वहीं रहकर यही सब करते को कहा। मुझे लगता था कि यह कैसे बीमार दिमाग के लोग हैं। हम दोनों के शरीर में सारे अंग एक जैसे हैं तो इन्हें मेरे साथ क्या मजा आता होगा। खैर खर्चा-पानी की वजह से अब यह रोज का काम हो गया था।
अवधेश बताता है कि एक पार्टी में मिली एक लड़की से अच्छी दोस्ती हो गई। यह सब करके थक चुका होने की बात पर उसने समझाया कि उस आदमी के इंडस्ट्री में बहुत अच्छे लिंक हैं। इतना हो चुका है तो उससे कुछ फायदा ही ले लिया जाए। मैंने एक दिन फिर खुद ही कॉल करके उस आदमी के पास गया तो साफ-साफ काम दिलवाने की बात कह डाली। उसने मुझे एक ऐसे शख्स के पास भेजा, जिसे नंगा देखकर मेरा कलेजा हिल गया। वह Shemale यानि ऊपर से औरत और नीचे से मर्द था। काफी दिन यहां-वहां भटकाने के बाद उसने (पुराने संपर्क वाला आदमी) साउथ में काम करने की बात कही तो मैंने हां कर दी। वहां गया तो माप लेते-लेते एक ड्रैस डिजाइनर ने कान में धीरे से कहा-सुना है आपकी हर जगह परफॉर्मेंस बढ़िया रहती है। पता देकर उसने भी मुझे घर पर बुलाकर भोगा। उसी फिल्म के सैट पर काम कर रहे एक बुजुर्ग आदमी ने एक दिन मुझे अपने घर बुलाया। उसने कहा कि यहां तुम्हारे जैसे बहुत सारे लड़के हैं। चले जाओ यहां से। हो सके तो इन लोगों की दुनिया से दूर चले जाओ। काम नहीं मिलने की बात पर उसने पूछा-कितने दिन? महीना, दो महीना, छह महीना, लेकिन इस गंदी दुनिया से तो निकल जाओ। फोन नंबर बदल लो।
इतना सब सुनने के बाद मैं मुंबई वापस आकर एक प्रोडक्शन हाउस से दूसरे प्रोडक्शन हाउस काम के लिए धक्के खाता रहा। एक प्रोडक्शन हाउस के बाहर मुझे साउथ भेजने वाला वही आदमी मुझे मिला तो मैंने दादी की मौत के चलते कुछ दिन दिल्ली गया होने की बात कही। फिर एक दूसरा रास्ता निकला, लेकिन इससे एकदम मिलता-जुलता। दरअसल, इन लोगों के लिए मसाज पार्लर चला रही एक औरत से नौकरी मांगी। उसने मुझे रजिस्ट्रेशन के 2500 रुपए जमा करवाकर 15 दिन की ट्रेनिंग लेने की सलाह दी। क्लाइंट के आने पर बाहर लाइन में आकर खड़े हो जाना और अपने चयन का इंतजार करना मेरे से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उस औरत ने कहा कि जल्दी न करो, कोई न कोई आएगी। करीब एक हफ्ते के बाद करीब 40 साल की एक औरत ने मुझे मसाज के लिए चुना। मसाज के साथ उसने चूमा-चाटी शुरू कर दी। घंटों मजा लेने के बाद उसने 10 हजार रुपए देने की बात कह घर बुलाया तो अगले दिन मैं वहां चला गया। खाना वगैरह खाने के बाद पूरी रात उसके बैडरूम में रहा। एक रात वह अपनी कार में मैरीन ड्राइव और सीलिंक घुमाने ले गई, जो मैंने पहली दफा देखा था। मेरा बर्ताव देखकर उसका अपना दर्द फूट पड़ा कि कैसे उसका पति विदेश में दूसरी औरत से शादी किए हुए है और यहां कभी-कभी आता है। घर लौटकर हमने खूब इंजॉय किया। खुश होकर सुबह जाते वक्त उसने मुझे 10 की बजाय 15 हजार रुपए दिए।
करीब 7 महीने तक ऐसे ही चलते रहने के बाद एक दिन उसके घर में पार्टी में बहुत सारी अधेड़ उम्र की महिलाएं आई। पार्टी के बाद उस औरत ने मुझे अपने घर रुकने के लिए कहा, लेकिन मैंने मना कर दिया। जाते हुए उसने इतना कहा कि इन औरतों में से कोई पसंद आए तो बताना। बहुत दिनों बाद मैं उससे मिलने के लिए गया। वहां पार्टी में आई एक औरत से मिलने की बात पर उसका फोन नंबर दे दिया। बात होने पर तय समय के मुताबिक मैं जब उसके ठिकाने पर पहुंचा तो वहां मौजूद तीन महिलाओं ने अपने-अपने तरीके से मेरे साथ मजा लिया। उस वक्त मुझे लगा कि मेरी जान ही निकल जाएगी, लेकिन मैं निढाल होकर पड़ा रहा। सुबह उन्होंने मुझे 25,000 रुपए दिए। इसी धंधे से जमा किए पैसों से मैंने एक कमरे का फ्लैट खरीदा। घर पर भी ठीक-ठाक पैसे भेजता था, लेकिन इससे दूर निकलकर लाइफ सैट करने की चाहत में छोटी-मोटी एक्टिंग करते हुए मेरी एक लड़की से नजदीकियां बढ़ी। तीन साल से हम दोनों साथ रह रहे हैं और अब शादी करने जा रहे हैं।