यहां 1200 रुपए में मिल सकेगा चांदी के भाव बिकने वाला यह Low Sodium Salt, इन बीमारियों में है फायदेमंद
नमक जिंदगी का अहम हिस्सा है। हम न सिर्फ तरह-तरह के चटपटे पकवानों में, बल्कि फलों-सब्जियों और सलाद में भी नमक का इस्तेमाल करते हैं। आदमी कई दिन तक बिना मीठा खाए रह सकता है, लेकिन नमक के बिना नहीं सरता। यही वजह है कि कुछ लोगों ने व्रत में भी सैंधा नमक का स्वाद ढूंढ लिया। ये लोग बड़े खुश हो रहे होंगे कि ये सामान्य जिंदगी में 20 रुपए किलो का टाटा का सफेद नमक और लगभग 50 रुपए किलो का सैंधा नमक इस्तेमाल करते हैं, पर शुद्ध नमक की कीमत जानेंगे तो पैर तले की जमीन खिसक जाएगी। अगर हम शुद्ध नमक खाने का शौक रखते हैं तो जानना जरूरी होगा कि यह लगभग 35 हजार रुपए किलो बिकता है। इतना ही नहीं जितनी ऊंची इसकी कीमत है, उतना ही जटिल इसे बनाना भी है। आइए जानते हैं कि ऐसा क्या है इस नमक में, जो यह चांदी का मुकाबला कर रहा है…
आज हम बात कर रहे हैं एमैथिस्ट बैंबू नमक (Amethyst Bamboo Salt) की। इसे दुनिया का सबसे शुद्ध नमक माना जाता है। यह अपने आप में एक बहुत बड़ी दवाई है। इसी की वजह से यह दुनिया का सबसे कीमती नमक भी है। इसके 240 ग्राम के पैकेट की कीमत 7 हजार रुपए से ज्यादा है। हालांकि कोरियन कल्चर में बैम्बू साल्ट कई सदियों से खाया जाता है, मगर रोस्टिड बैम्बू साल्ट की खोज 20वीं सदी में हुई थी। सादे नमक बांस के कंटेनर में भरकर उसे मिट्टी से बंद कर देते हैं। इसके बाद भट्ठी में नमक को 9 बार पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में 50 दिन का वक्त लग जाता है। ये पूरी प्रक्रिया हाथ से होती है और इसी कारण नमक का दाम इतना ज्यादा हो जाता है। एक वक्त था, जब नमक को बांस में भरकर 2-3 बार ही पकाया जाता था, मगर धीरे-धीरे पता चला कि कई बार नमक को पकाने से उसमें बांस की महक आ जाती है और अशुद्धियां बेहद कम हो जाती हैं।
अब बड़ी राहत देने वाली बात है कि भारत में बैम्बू साल्ट सिर्फ 1200 रुपए किलो में उपलब्ध होने जा रहा है। दरअसल, पंजाब के वन विभाग में नॉर्थ रीजन में तैनात कंजरवेटर डॉ. संजीव तिवारी ने बताया कि उन्होंने इस नमक को आम आदमी की पहुंच में लाने के मकसद से होशियारपुर के कंडी इलाके में पाए जाने वाले बांसों की गुणवत्ता की पहचान करके सैल्फ हैल्प ग्रुप का गठन किया। जिले के बटोली गांव में चल रही योजना के संयोजक चमनलाल ने बताया कि गुजरात के समुद्र तट से नमक को निकालने के बाद बटोली गांव लाया जाता है। यहां बांस के सिलैंडर में भरकर भट्ठी में नमक को 350 से 400 डिग्री तापमान पर 3 बार पकाते हैं। नमक को पकाने से बांस की महक आती है, इसलिए बाद में इसे मिट्टी के बर्तन में बार-बार भूनते हैं। उन्होंने बताया कि मार्श बैम्बू मिशन के तहत यहां इस खास नमक को तैयार करने में सिर्फ 22 दिन लगेंगे, वहीं इसकी कीमत भी घटकर 1200 रुपए किलो रह जाएगी।
इन रोगों में काम आता है बैम्बू साल्ट
एक्सपर्ट के अनुसार, खानपान में कोरियन साल्ट के प्रयोग से हाथ का ठंडा व टेढ़ा होना, चेहरे काले धब्बे, सूखी चमड़ी, चेहरे व चमड़ी पर बने डार्क सर्कल, जीभ में समस्या, नाखून का सफेद होना, बाल का समय से पहले झड़ना, थायरायड की समस्या, हड्डी का टेढ़ा होना व दर्द होना, हर समय थका-थका महसूस होना, हर्ट बीट की समस्या और डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभप्रद है।