कभी फुटपाथ पर रंग-गुलाल बेचता था Yogi Cabinet का यह मंत्री, Blast में निकल आई थी आंत
लखनऊ. राजनीति की पिच पर हर कोई ऐसे ही नहीं जम जाता। उसके लिए जिगर चाहिए होता है और उससे ज्यादा जरूरत होती है ईमानदारी की। आज सफलता की कहानी (The Success Story) सीरीज में शब्दचक्र बात कर रहा है UP के योगी कैबिनेट के एक मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी की। एक वक्त था, जब इनके पास पढ़ने तक के पैसे नहीं थे। बेचारे नंदी घर का खर्च चलाने के लिए छोटे-मोटे काम करते थे। फुटपाथ पर रंग-गुलाल, पिचकारी और बम-पटाखे बेचे हैं इन्होंने, लेकिन नंदी ग्रुप ऑफ कंपनीज (Nandi Group Of Companies) के मालिक हैं। आइए इनके संघर्ष को जरा तफसील से जानते हैं कि किस तरह एक बम धमाके ने इन्हें हीरो बना दिया…
23 अप्रैल 1974 को प्रयागराज में जन्मे नंद गोपाल उर्फ नंदी के पिता डाक विभाग में काम करते थे। मां घर में सिलाई-बुनाई का काम करती थी। 5 लोगों का परिवार, जैसे-तैसे दो वक्त की रोटी के पैसे जुट पाते थे। पैसे नहीं थे, इसलिए 1986 में 12 साल के नंदी ने पढ़ाई के साथ काम शुरू कर दिया। वह होली पर सड़क किनारे गुलाल तो दिवाली पर पटाखे बेचने लगे। साल 1991 में घर में पैसे की कमी की वजह से 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इसके बाद इधर-उधर से पैसे इकट्ठा कर उन्होंने एक ब्लैक एंड व्हाइट Telivision खरीदा। इलाके में पहला घर था, जहां TV आया था। लोगों को 50 पैसे में महाभारत दिखाकर नंदी थोड़े पैसे कमाने लगे। 1992 में मिठाई की दुकान शुरू की। इस दुकान से नंदी ने इतने पैसे बना लिए कि वह बिजनेसमैन की तरह सोचने लग गए। कुछ दिन बाद एक ट्रक लिया। साथ में दवाओं की एजेंसी खोलकर काम शुरू कर दिया। 1994 में नंदी ने अपने रिश्तेदार के साथ मिलकर ईंट भट्ठे का बिजनेस शुरू किया। धीरे-धीरे नंदी से वह नंदी ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक हो गए। साल 2007 तक प्रयागराज के बड़े व्यापारी बन चुके नंदी ने नेता बनने की सोची।
ऐसा है राजनैतिक सफर
- बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेता इंद्रजीत सरोज के पास जाकर नंदी कहा, ‘हमको इलाहाबाद शहर दक्षिणी सीट से चुनाव लड़ना है।‘ इंद्रजीत बोले, ‘पहले कभी चुनाव लड़ा है?’ नंदी ने कहा, ‘नहीं, लेकिन अब विधायकी लड़ूंगा।‘ दो दिन बाद इंद्रजीत नंदी को मायावती के सामने लेकर खड़े हो गए। मायावती ने कहा, ‘तुमको पता है ना उस सीट पर केशरीनाथ त्रिपाठी बहुत पैसा खर्च करते हैं। तुम कर पाओगे?’ नंदी बोले- ‘हां।‘ मायावती बोलीं, ‘कितना खर्च कर पाओगे?’ नंदी बोले ‘केशरीनाथ त्रिपाठी से दोगुना।
- मायावती ने इलाहाबाद दक्षिणी से नंदी को टिकट दे दिया। उन्होंने बीजेपी के केशरी नाथ त्रिपाठी को हरा दिया। वैश्य समाज के नेता के रूप में नंदी आगे बढ़े तो मायावती ने इन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया।
- 12 जुलाई 2010 बसपा सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ सुबह अपने घर से करीब 1 किलोमीटर दूर रोज की तरह पूजा करने गए। मंदिर पहुंचे और गाड़ी से उतरे ही थे कि स्कूटी में रखे बम को रिमोट से उड़ा दिया गया। धुएं का गुब्बार उठा। धुआं छटा तो इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार विजय प्रताप सिंह और मंत्री के गनर की लाश पड़ी थी। नंदी का पेट फट गया, आंतें बाहर आ गई। हथेली के चीथड़े उड़ गए। नंदी किसी तरह से भागकर पड़ोसी के घर में घुसे। दूसरा ड्राइवर आया और सीधे रास्ते के बजाय गाड़ी को शहर का चक्कर लगाते हुए SRN पहुंचे। आठ दिन तक नंदी को होश नहीं रहा। 4 महीने तक अस्पताल में रहे। जब वो वापसी कर रहे थे तो लोगों के बीच खुसुर-फुसुर शुरू हो गई कि क्या नंदी का फिर से वही दम-खम दिखेगा या नहीं। नंदी ने वापसी की। पार्टियां बदली, लेकिन नंदी का रुतबा बरकरार रहा।
- 2012 में BSP से इलाहाबाद दक्षिण सीट पर चुनाव लड़े तो 414 वोटों से हार गए।
- 2014 में मायावती ने पार्टी से निकाल दिया तो नंदी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हो गए। इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव हार जाने के बाद 3 साल तक राजनीति से बिलकुल गायब रहे।
- 2017 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ आए और 28 हजार वोटों से इलाहाबाद दक्षिण सीट जीत ली। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए।
- हाल ही में प्रयागराज दक्षिण से 10 हजार 777 वोटों से जीतकर दोबारा कैबिनेट में शामिल हुए हैं।