चंबा: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव का नतीजा सावर्जनिक हो चुका है। कांग्रेस के अभेद किले में सेंध लगा हर्ष महाजन ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की झोली में यह सीट डाल दी है। इसी के साथ एक नया इतिहास बन गया कि चंबा से पहली बार कोई नेता राज्यसभा में बैठेगा। इसके बाद हर तरफ हर्ष का माहौल है। भाजपा कार्यकर्ताओं को मिठाई बांटने के साथ-साथ आतिशबाजी करते देखा गया। चंबा चौगान के मुख्य चौक पर जय श्रीराम के जयघोष के साथ जश्न में शामिल हुए भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना है कि हर्ष महाजन एक कदावर नेता हैं।
गौरतलब है कि मंगलवार को हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा सांसद चुनने के लिए वोटिंग हुई। इसमें राज्य के सभी 68 विधायकों ने वोट डाले। यहां कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी और भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन के बीच था। हालांकि कांग्रेस के पास इस वक्त 40 विधायक हैं, जिनमें से सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, देवेंद्र भुट्टो, चैतन्य शर्मा, रवि ठाकुर, इंद्र दत्त लखनपाल के द्वारा क्रॉस वोटिंग की गई। इस हिसाब से मनु सिंघवी को 34 वोट मिले, वहीं भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को भी 34 वोट हासिल हुए। इनमें से 25 पार्टी के अपने थे, 6 कांग्रेसी बागियों का साथ मिला तो 3 निर्दलीय भी उन्हीं के हक में रहे। आखिर जीत-हार का फैसला टॉस को करना पड़ा, जो हर्ष को जिता गया।
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कौन हैं हर्ष महाजन?
12 दिसंबर 1955 को शिवभूमि चंबा में देसराज महाजन के घर जन्मे हर्ष महाजन की गिनती प्रदेश के कद्दावर नेताओं में होती है। वह कॉमर्स में बैचलर करने के बाद मास्टर ऑफ बिजनैस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) किए हुए हैं। हर्ष ने कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में 1985 में राजनीति में कदम रखा था। 1986 से 1996 तक युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। उन्होंने 1993 से 2007 तक चंबा सदर विधानसभा से लगातार तीन बार जीत दर्ज की, वहीं पहले चुनाव में मुख्य संसदीय सचिव की भूमिका में विधानसभा में शामिल रहे। 1998 में प्रदेश कांग्रेस के चीफ व्हीप चुने गए तो 2003 में वीरभद्र सिंह की सरकार में पशुपालन मंत्री बने। 2012 में राज्य सहकारी बैंक के चेयरमैन बने। 28 सितंबर 2022 को विधानसभा चुनाव से पहले हर्ष ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का कमल अपने हाथ में थाम लिया था। अब पार्टी ने राज्यसभा चुनाव में उन पर दांव खेला।
कांग्रेसियों ने निभाई दोस्ती, पार्टी से की दगा
हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी के मुकाबले हर्ष की जीत इतनी आसान नहीं थी, लेकिन ठीक वैसा ही हुआ, जैसा कि नामांकन के दौरान हर्ष ने दावा किया था। उन्होंने कई कांग्रेस विधायकों के साथ नजदीकी दोस्ताना संबंध होने की बात कही थी। इसके चलते क्रॉस वोटिंग का अनुमान लग रहा था और यह अनुमान सही साबित हुआ।