ट्रैक्टर का स्टीयरिंग थाम ऐसा क्या गुनाह कर दिया इस पढ़ी-लिखी बेटी ने, गांव वाले कर रहे दंडित करने की बात
रांची. Social Boycott: एक ओर देश की सरकार लोगों को ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का पाठ पढ़ाकर नहीं थकती, वहीं हमारे रूढ़ीवादी समाज का कुछ हिस्सा आज भी अपने आप को बदलने का प्रयास नहीं करता। यह छोटी सोच नहीं तो क्या है कि एक परिवार ने बेटी को बचाया-बेटी को पढ़ाया और अब वही पढ़ी-लिखी बेटी घर का काम संभाल रही है तो इस समाज को मिर्ची लग रही है। हालिया मामला झारखंड के आदिवासी इलाके से सामने आया है, जिसमें ट्रैक्टर से खेत जोतने पर एक बेटी को दंडित किए जाने की बात कही जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार गुमला जिले के सिसई प्रखंड की शिवनाथपुर पंचायत में पड़ते गांव दाहु टोली की 22 वर्षीय मंजू उरांव आदिवासी उरांव समुदाय से संबंध रखती है। बेहद सामान्य परिवार से संबंध रखती मंजू स्नातक की पढ़ाई कर रही है। अपने खेत में ट्रैक्टर चलाते देख गांव के लोग उसके विरोध पर उतर आए। ग्रामीणों का कहना है कि उरांव समाज में लड़कियों या महिलाओं को खेत जोतने का अधिकार नहीं है। वो अगर ऐसा करती हैं तो अपशकुन माना जाता है। भले ही खेत बरसों बरस खाली पड़े रह जाएं, महिलाएं और लड़कियां किसी सूरत में खेत की जुताई नहीं कर सकती। आज तक गांव-समाज में किसी ने ऐसा नहीं किया है। मंजू ने यह पहल करके अपशकुन किया है, इसलिए वह दंडित करने योग्य है। रूढ़ियां इस कदर गांव में हावी है कि पुरुषों की तरह यहां की महिलाएं भी एक स्वर से कहती हैं कि मंजू उरांव ने खेत की जुताई कर समाज में प्रचलित परंपरा को तोड़ दिया है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए।
दूसरी ओर मंजू के घर वालों की सोच कुछ और ही है। एक स्कूल में टीचिंग कर रहे उनके चचेरे भाई सुकरू एकदम बहुत बेबाकी से कहते हैं कि झारखंड ही नहीं पूरी दुनिया में आदिवासी समुदाय के बीच कई लोक मान्यताएं प्रचलित हैं। आदिवासी समाज में महिलाएं बैलों से खेत जुताई नहीं कर सकती, लेकिन मंजू ने तो ट्रैक्टर से खेत की जुताई की है। देखा जाए तो उसने कोई गलती नहीं की है।
इस बारे में गांव की सहिया कंदाइन उरांव की मानें तो प्रवीण मिंज ने गांव के दो परिवारों का मतांतरण करा दिया। इसको लेकर 2 जुलाई को गांव में बैठक हुई उरांव समुदाय ने मतांतरण कराने वाले और कर चुके परिवारों का बहिष्कार कर दिया। इसके बाद से प्रवीण मिंज के खेत में कोई काम नहीं कर रहा है, लेकिन मंजू उरांव ने ट्रैक्टर से खेत की जुताई कर दी। इसी वजह से गांव के लोग नाराज हैं। उधर प्रवीण मिंज से बात की गई तो उनका कहना था कि बंधन उरांव और बृसमुनि उरांव के परिवार ने कोई धर्मांतरण नहीं किया है। उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है। मजबूर होकर दोनों परिवारों ने गांव छोड़ दिया है। मंजू उरांव ने उनसे डेढ़ एकड़ जमीन लीज पर ली है। इसी जमीन को वह ट्रैक्टर से जुताई कर रही थी।