भ्रष्ट हो चुकी पंजाब की अफसरशाही, एक साल में विजिलैंस ब्यूरो ने 129 मामलों में 172 भ्रष्टाचारियों को किया अंदर
चंडीगढ़. विजिलैंस ब्यूरो पंजाब ने बीत चुके वर्ष 2022 में भ्रष्टाचार के 129 मामलों में 172 हरामखोरों को बेनकाब किया है। यह अपने आप में रिकॉर्ड है। समाज से भ्रष्टाचार को मिटाने की कोशिश के बीच उजागर किए गए घूसखोरी के इन 129 मामलों में ट्रैप के 65 मामलों में 83, ऑनलाइन शिकायतों के 64 मामलों में 89 लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचाया है। गजब की बात यह भी है कि इनमें चार पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। अब यह अंदर की बात है कि यह सूबे में बदली सत्ता का नतीजा है या मौजूदा साल में इसी सत्तापरिवर्तन का फायदा भ्रष्टाचारियों ने उठाने का हौसला दिया। हालांकि अभी तक पंजाब की भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार अपनी पीठ थपथपाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
बीते साल की कार्यशैली पर प्रकाश डालते रविवार को प्रदेश के एडीजीपी और विजिलैंस ब्यूरो के चीफ डायरैक्टर वरिंदर कुमार ने बताया कि इस साल अन्य विभागों के अलावा पंजाब पुलिस के 30, राजस्व विभाग के 13, बिजली विभाग के 5 और स्थानीय निकायों के 4 मुलाजिमों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया है। उन्होंने कहा कि 23 मार्च 2022 को मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई के लिए विशेष व्यवस्था लागू की थी। इसके सराहनीय परिणाम सामने आए हैं। विजिलैंस ब्यूरो ने 371 अभियुक्तों के खिलाफ 135 आपराधिक मामले दर्ज किए थे, जिसमें 35 राजपत्रित अधिकारी (जीओ), 163 गैर-राजपत्रित अधिकारी एनजीओ और 173 निजी व्यक्ति शामिल हैं। इसके अलावा, भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच के लिए 139 संदिग्धों के खिलाफ 103 सतर्कता पूछताछ भी दर्ज की गई है, जिसमें पिछले वर्ष 35 जीओ, 58 एनजीओ और 46 निजी व्यक्ति शामिल हैं। इसके अलावा एक जीओ व एनजीओ के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के 2 मामले भी दर्ज हैं।
उन्होंने कहा कि विभिन्न अदालतों में सजा के कारण 2 गैर सरकारी संगठनों को उनके संबंधित प्रशासनिक विभागों द्वारा उनकी सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया है। ब्यूरो पिछले वर्ष के दौरान 39 सतर्कता जांचों को पूरा करने में सक्षम रहा है। विभिन्न विशेष अदालतों ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज 19 विभिन्न सतर्कता मामलों में आरोपी 2 जीओ, 18 एनजीओ और 10 निजी व्यक्तियों को सजा सुनाई है और पांच साल तक की कैद की सजा सुनाई है। विशेष अदालतों ने भी अलग जुर्माना लगाया है।
प्रमुख मामलों की जानकारी देते हुए विजिलैंस चीफ ने बताया कि चार पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत, संगत सिंह गिलजियां, भारत भूषण आशु और सुंदर श्याम अरोड़ा, अमृतसर सुधार ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष दिनेश बस्सी, आईएएस संजय पोपली, मुख्य वन संरक्षक परवीन कुमार, वन संरक्षक विशाल चौहान, अमित चौहान, डीएफओ गुरामनप्रीत सिंह, ठेकेदार हरमिंदर सिंह हमी, एआईजी आशीष कपूर, पनसप के महाप्रबंधक नवीन कुमार गर्ग, पंजाब होमगार्ड की जिला कमांडर निर्मला और प्लाटून कमांडर अनमोल मोती, ईटीओ संदीप सिंह, ठेकेदार तेलूराम, यशपाल और अजयपाल पर अलग-अलग मामले दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार किया गया।
वरिंदर कुमार ने बताया कि पिछले साल कुल 3,72,175 शिकायतें मिली हैं, जिनमें से 6,407 शिकायतें ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ और 294 शिकायतें संबंधित प्राप्त हुई हैं। ऑनलाइन शिकायतों के आधार पर 26 नागरिकों, 27 पुलिस अधिकारियों और 29 सिविल विभागों के खिलाफ 64 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जिसमें अब तक 89 व्यक्तियों को गिरफ्तार/जमानत दी जा चुकी है। इसके अलावा 2970 शिकायतें अन्य विभागों से संबंधित पाई गईं, जिन्हें संबंधित विभागों को भेज दिया गया है। कुल 3,143 शिकायतें अप्रासंगिक, जंक पोस्ट आदि पाई गईं, जो सामान्य प्रकृति की थीं।