हवस का अंधा खेल; पति के दोस्त को ले भागी 8 बच्चों की मां, आशिक भी हुआ 3 बच्चों और बीवी से बेवफा
संभल. हवस भी बड़ी अजीब होती है। एक बार आदमी इसके वशीभूत हो जाए तो फिर मां-बाप, पति-पत्नी, बेटा-बेटी इन सबका कोई मोल नहीं रह जाता उसके लिए। हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल से ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जो बेहद चर्चा में है। यहां 8 बच्चों की मां अपने इन बच्चों और पति के साथ बेवफाई करके एक ऐसे शख्स के साथ भाग गई, जो खुद अपनी बीवी और 3 बच्चों के साथ वफा नहीं कर सका। इतना ही नहीं, इस कमीने ने अपने दोस्त को भी दगा दे डाला। वासना की अंधी इस औरत के खिलाफ अब इसके पति ने पुलिस में शिकायत दी है। इसी के साथ अब बड़ा सवाल ये है कि अगर ये बेवफा लौटी नहीं तो बिन मां के 6 बेटियों की जिंदगी कैसी होगी, क्योंकि 2 बेटोंं के सिर पर तो बाप अभी बैठा है। एक हरियाणवी लोकगीत, ‘बिना बाप का बेटा सूना-बिन माता की छोरी…’ ऐसे ही नहीं बना। रिश्तों का मोल समझाते इन शब्दों का भी अपना एक वजूद है। खैर, समाज के नियम-कायदे को ताक पर रखकर सिर्फ और सिर्फ काम के वशीभूत होने की इस बेवफाई की कहानी को थोड़ा करीब से समझते हैं, ताकि और लोग अपनी जिंदगी में सीख ले सकें…
मामला संभल जिले के हजरतनगर गढ़ी थाना क्षेत्र के एक गांव का है। मिली जानकारी के अनुसार गांव एक शख्स का वर्ष 2004 में डिडौली थाना क्षेत्र के गांव निवासी युवती के साथ निकाह हुआ था। इस औरत ने 6 बेटियों और 2 बेटों को जन्म दिया। बेचारा बाप राज मिस्त्री का काम करके इनका पालन पोषण करता है। मजदूर की जरूरत पड़ने पर वह गांव के ही एक युवक को अपने साथ ले जाता था। इसी दौरान घर आना-जाना हो गया तो राजमिस्त्री की पत्नी और मजदूर ने अपनी अलग ही यारी पाल ली। अब मौका पाकर दोनों एक-दूसरे को ले भागे।
पुलिस शिकायत के अनुसार महिला के पति और उसके बच्चों ने पहले तो रिश्तेदारों और गांव में ही महिला को तलाश किया, लेकिन कहीं नहीं मिली। बाद में पता चला कि यारी में गद्दारी करके उसका मजदूर साथी ही उसकी बीवी को ले भागा। उधर, इस मामले में गजब हैरान और परेशान कर देने वाली बात तो यह भी है कि जिस व्यक्ति के साथ महिला भागी है, वह खुद तीन बच्चों का बाप है। एक ने अपनी कोख के जाए 8 बच्चों तो दूसरे ने अपनी पैदाइश 3 बच्चों को छोड़कर, अपने-अपने जीवनसाथी को छोड़कर नई दुनिया बसाने का फैसला कर लिया। अब गांवभर में ही नहीं, बल्कि जहां तक यह खबर फैली है, वहीं इसकी खूब आलोचना हो रही है। शब्द चक्र न्यूज का मानना है कि इस कुकृत्य की जितनी भर्त्सना हो, उतनी कम है। अगर ऐसे ही समाज के नियम-कायदे को धता बता पशुओं जैसा आचरण लोग करते रहे तो फिर परिवार, समाज और संस्कृति की कोई कल्पना ही नहीं रह जाती।