फेल हो चुके 18 University Students को ‘भगवान श्रीराम‘ ने कराया Exam में पास; फिर ऐसे खुली पोल
जौनपुर : उत्तर प्रदेश के जौनपुर से एक हैरान कर देने वाला घटनाक्रम सामने आया है। यहां स्थित वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल यूनिवर्सिटी में 18 छात्रों को भगवान श्रीराम ने पास कर दिया, जबकि वो असल में फेल थे। इस बात का खुलासा तब हुआ, जब छात्र नेता ने सूचना का अधिकार (RTI) कानून इस्तेमाल करते हुए एग्जाम की आंसरशीट दोबारा चैक किए जाने की मांग उठाई और फिर इस पर अमल हुआ। जांच में पता चला कि ये छात्र फेल होने लायक थे। भेद खुलने के बाद अब यूनिवर्सिटी के दो प्रोफेसरों को सस्पैंड करने की सिफारिश की गई है।
ये है पूरा मामला
छात्र नेता दिव्यांशु सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और कुलपति वंदना सिंह को पत्र भेजकर आरोप लगाया था कि यूनिवर्सिटी में डिप्लोमा फार्मा के कुछ छात्रों को बिना किसी कारण के पास कर दिया गया। इन्हें असल में एक भी अंक नहीं मिला था, लेकिन एग्जाम कॉपी चैक करने वाले 60 प्रतिशत से भी ज्यादा अंक दे दिए। उसने RTI का हवाला भी दिया। इसके बाद जांच में पाया गया कि 18 स्टूडैंट्स की स्पैशल बैंक कॉपी (छात्रों की मूल कॉपियों का सुरक्षित संग्रह) की जांच के दौरान कई गड़बड़ियां हुई हैं। दोबारा जांच करने पर अंकों में काफी फर्क पाया गया।
आंसरशीट्स में ‘फार्मेसी को करियर के रूप में चुनना’ जैसे सवाल के जवाब के बीच में “जय श्री राम” लिखा हुआ है। उसी जवाब में हार्दिक पांड्या, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे क्रिकेटरों के नाम भी लिखे दिखे। परीक्षा समिति की बैठक में पहले कॉपी चैक करने वाले डॉ. विनय वर्मा और मनीष गुप्ता को सस्पैंड कर दिया गया है।
क्या बोलीं कुलपति वंदना सिंह
इस बारे में कुलपति वंदना सिंह ने बताया कि कुछ छात्रों को ज्यादा अंक दिए जाने का आरोप था। हमने एक कमेटी बनाई। उस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि छात्रों को ज्यादा अंक दिए गए थे। उन्होंने कहा है कि शिक्षकों को चेतावनी दी गई है, ताकि ऐसा दोबारा ना हो। कमेटी ने इन शिक्षकों को हटाने की सिफारिश की है, लेकिन अभी आचार संहिता लगी होने के कारण यह पूरा नहीं किया जा सकता। आगे की कार्रवाई आचार संहिता हटने के बाद ही की जाएगी। हालांकि जवाब के तौर पर “जय श्री राम” लिखने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मैंने खुद ऐसी कॉपियां नहीं देखीं, लेकिन एक कॉपी जरूर देखी जिसमें कुछ भी समझ में आने वाली बात नहीं लिखी थी. ऐसे में छात्र को अंक देना मुश्किल था। उसकी लिखावट भी साफ नहीं थी। राजभवन ने विश्वविद्यालय की कुलपति को पत्र लिखकर इस मामले में कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे”।