नई दिल्ली: वन नेशन वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंप दी है। कमेटी ने स्थानीय निकाय, विधानसभा और लोकसभा चुनाव कराने के लिए एकल मतदाता सूची बनाने का सुझाव दिया है। साथ ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान में संशोधन की भी सिफारिश की है।
191 दिन में किया कमेटी ने काम पूरा
बता दें कि एक देश एक चुनाव की परिकल्पना पर अनुसंधान के लिए एक सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन हुआ था। इस कमेटी ने 191 दिन की रिसर्च के बाद अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी है। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे। कोविंद कमेटी की 18626 पन्नों की इस रिपोर्ट में संसद के सदनों की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 83, लोक सभा के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 85, राज्य विधानमंडलों की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 172, राज्य विधानमंडलों के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 174 और राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने से संबंधित अनुच्छेद 356 में संशोधन की सिफारिश की गई है।
The High-Level Committee on simultaneous elections, chaired by Ram Nath Kovind, Former President of India, met President Murmu at Rashtrapati Bhavan and submitted its report. Union Home Minister Amit Shah was also present. pic.twitter.com/zd6e5TMKng
— ANI (@ANI) March 14, 2024
सरकार गिरने की स्थितियों पर एक साथ चुनाव कराने की व्यवस्था कायम रखने की अहम सिफारिश भी इस कमेटी ने की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। इसके बाद 100 दिन के अंदर दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं। इसके साथ ही जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रासंगिक प्रावधानों में संशोधन करने की भी सिफारिश की गई है। समिति का मानना है कि उसकी सभी सिफारिशें पब्लिक डोमेन में होनी चाहिए, लेकिन इसको लेकर फैसला सरकार ही करे।
47 में से 32 पार्टियों ने किया व्यवस्था का समर्थन
कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव को एक साथ कराने को लेकर ज्यादातर राजनीतिक दल सहमत हैं। कुल 47 राजनैतिक दलों में से भारतीय जनता पार्टी, एनपीपी, एआईडीएमके और अपना दल (सोनेलाल) जैसी 32 पार्टियों ने वन नेशन वन इलेक्शन सिस्टम का समर्थन किया है। दूसरी ओर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी जैसे 15 दलों ने विरोध किया है।