राजेन्द्र ठाकुर/चम्बा
पांगी कल्याण संघ चंबा की ओर से सोमवार को मुख्यालय में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता संघ के प्रधान भगत बड़ोतरा ने की। बैठक में विभिन्न तरह की समस्याओं को लेकर विचार विमर्श कर आगामी रणनीति तैयार की। संघ के प्रधान भगत भगत बड़ोतरा सहित अन्य सदस्यों का कहना है कि घाटी के लोग पिछले 52 वर्षो से घाटी के लिए सुरंग के सपने देख रहे हैं, लेकिन आज दिन तक केंद्र व प्रदेश की सरकार की ओर से उनके सपने को पूरा करने के लिए कोई भी उचित कदम नहीं उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि सर्दी के दिनों में पांगी घाटी सात से आठ माह तक देश, प्रदेश व जिला मुख्यालय से कटी रहती है। ऐसे में क्षेत्र की जनता को आठ माह तक कैदी की तरह जीवन व्यतीत करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पिछले 52 वर्षो से घाटी की जनता चुने हुए प्रतिनिधि व सरकार से चैहणी सुरंग निर्माण को लेकर मांग कर रही है, लेकिन घाटी के लोगों की इस मांग को न तो चुने हुए प्रतिनिधि की ओर से प्रमुखता के साथ सरकार के समक्ष रखा गया, ओर न ही सरकार की ओर से इसे लेकर कोई प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जब तक घाटी के लोगों को 12 माह तक यातायात सुविधा प्राप्त नहीं होगी तब तक घाटी में किसी तरह का भी उचित विकास होना संभव नहीं है। ऐसे में उन्होंने शाहपुर द्रमण वाया जोत चंबा तीसा पांगी राष्ट्रीय राजमार्ग पर चेहणी पास से पांगी के लिए सुरंग निर्माण की मांग की है, ताकि घाटी के लोगों वर्षों का सपना पूरा हो सके। ओर घाटी वर्षभर देश दुनिया से जुड़ी रहे। ताकि घाटी के लोगों को सुख सुविधा मिल सके। यह सुरंग सामरिक दृष्टि से भी काफी अहम होगी। इसके अलावा उन्हाेंने घाटी के लिए द्रमण बाया जोत चंबा चुराह होकर प्रस्तावित राज मार्ग का कार्य जल्द शुरू करने की भी मांग की है।
संघ सदस्यों का कहना है कि राजकीय महाविद्यालय किलाड़ में खाली चल रहे विभिन्न विषयों के प्राध्यापकों के चलते छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। किलाड़ कॉलेज के लिए करीब 17 प्राध्यापकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन मौजूदा समय में चार प्राध्यापक ही सेवाएं दे रहे हैं। कॉलेज में 300 के करीब छात्र शिक्षा गृहण कर रहे हैं। प्राध्यापक न होने से छात्रों की पढ़ाई भी काफी प्रभावित हो रही है। ऐसे में उन्होंने सरकार से जल्द किलाड़ कॉलेज में प्राध्यापकों के पदों को भरने की मांग की है। साथ ही उन्होंने सरकार द्वारा डि-नोटिफाई किए जा रहे कम संख्या वाले स्कूलों को भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बंद करने की मांग की है। जनजातीय क्षेत्र पांगी व भरमौर के अलावा जिला चंबा के कई दुर्गम क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पर स्कूल बंद होने से बच्चों को पढ़ाई के लिए घरों से 10, 12 किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा। ऐसे स्कूलों को बंद न किया जाए।