5 साल तक की उम्र के बच्चों की मौत की अहम वजह कुपोषण, निमोनिया और डायरिया; IYCF की जानकारी बेहद जरूरी
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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की तरफ से मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में किया गया एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
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जिले के सभी स्वास्थ्य खंडों के 24 चिकित्सा अधिकारियों को पंडित जवाहर लाल नेहरू मैडिकल कॉलेज की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जूही ने बारीकी से जानकारी
राजेन्द्र ठाकुर/चंबा
हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की तरफ से गुरुवार को चंबा में विशेष अभियान ‘MAA’ के अंतर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में चिकित्सा अधिकारियों को इन्फैंट एंड यंग चाइल्ड फीडिंग (IYCF) के बारे गहराई से जानकारी दी गई। अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. कपिल शर्मा ने की।
मिली जानकारी के अनुसार इस एक प्रशिक्षण शिविर में जिले के सभी स्वास्थ्य खंडों के 24 चिकित्सा अधिकारियों ने हिस्सा लिया, वहीं प्रशिक्षक की भूमिका में पंडित जवाहर लाल नेहरू मैडिकल कॉलेज की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जूही थी। प्रशिक्षण में स्वास्थ्य विभाग चंबा में न्यूट्रिशनल काउंसलर के रूप में कार्यरत पूनम सहगल ने भी डॉ. जूही के साथ प्रशिक्षण में सहयोगी की भूमिका निभाई। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर हरित पुरी, डॉक्टर करण हितेषी और स्वास्थ्य शिक्षिका निर्मला ठाकुर भी उपस्थित रहे।
इस दौरान स्रोत वक्ता डॉ. जूही ने बताया कि 5 साल तक के बच्चों के मृत्यु का मुख्य कारण डायरिया, निमोनिया और कुपोषण हैं। कुपोषण के कारण बच्चा जल्द ही निमोनिया और डायरिया का शिकार हो जाता है। अगर समय पर उपचार न मिले तो वह मृत्यु का शिकार हो जाता है।
डॉ. जूही ने बताया कि 2 वर्ष तक के बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए जन्म के तुरंत बाद स्तनपान करवाने, 6 माह तक केवल और केवल मां का दूध ही देने, 6 माह के बाद बच्चे में मां के दूध के साथ ऊपरी आहार भी दिए जाने और 2 साल तक बच्चे को ऊपरी आहार के साथ मां का दूध पिलाना जारी रखने पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। इसके बारे में ग्रामीण स्तर तक लोगों को जागरूक करना भी बहुत जरूरी है। साथ ही उन्होंने कुपोषण के उपचार और देखभाल के बारे में बारीकी से बताया कि यह कैसे की जाए, कहां की जाए। इस प्रशिक्षण शिविर में आए जिले सभी चिकित्सा अधिकारियों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अपने-अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी चलाए जा रहे विभिन्न प्रोग्रामों को सुचारू रूप से क्रियान्वित करने के लिए भी दिशा-निर्देश दिए।