40 साल पहले पुल बनाकर भूल गया PWD; अब टूटा तो 12 पंचायतों की हजारों जिंदगियों पर आया संकट
- स्थानीय पंचायत और लोक निर्माण विभाग के बीच तालमेल की कमी, परेशान ग्रामीण बोले-दोनों एक-दूसरे पर डाल रहे थे मरम्मत की जिम्मेदारी
- एक साल पहले जिला परिषद के एजैंडे में भी शामिल रहा मरम्मत का मुद्दा, जन मंच में उपायुक्त दुनीचंद राणा ने 8 लाख रुपए देने की बात कही थी
राजेन्द्र ठाकुर/चंबा
हिमाचल प्रदेश के चंबा में दर्जनभर पंचायतों में बसे हजारों लोगों की जिंदगी उस वक्त संकट में आ गई, जब इन्हें एक-दूसरे जोड़ता 40 साल पुराना पुल टूट गया। इस हादसे के पीछे की वजह लोक निर्माण विभाग (PWD) और स्थानीय पंचायतों के बीच तालमेल की कमी को बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों की मानें तो विभाग पुल बनाकर इसकी देखरेख का जिम्मा भूल गया और इसी का नतीजा है कि अब लोगों को यह परेशानी खड़ी हो गई। पुल टूटने के बाद न सिर्फ यहां से गुजर रहे एक युवक की जान बड़ी मुश्किल से बची, बल्कि एक किसान के बैल भी हवा में लटक गए थे। गनीमत रही कि कोई बड़ी अनहोनी नहीं घटी। अब लोग प्रशासन को कोसते नजर आ रहे हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक विधानसभा हलका चंबा में आती सराहन, गुवाड़ पंचायत को जोड़ने के लिए आज करीब 40 साल पहले लकड़ी ओर लोहे की प्लेटों से एक पुल बनाया गया था, जिस पर से या तो पैदल व्यक्ति गुजर सकता है या फिर ज्यादा से ज्यादा दुपहिया वाहन गुजर सकते हैं। शुक्रवार को यह पुल टूट गया। शाम करीब साढ़े 7 बजे विक्की टंडन पुत्र देशराज निवासी चुल्ला यहां से गुजर रहा था। अचानक जैसे ही उसे पुल टूटने का आभास हुआ, मोटरसाइकल को वहीं पुल के पास खड़ी करके जैसे-तैसे वह घर पहुंचा। उधर, इसके बाद खेत से लौटते वक्त एक किसान को भी यहां टूटे हुए पुल की वजह से खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। जब वह पुल पार कर रहा था तो टूटी हुई जगह से बैल अचानक हवा में लटक गया। पता चलने पर स्थानीय ग्रामीणों ने बड़ी मुश्किल से उसे निकाला। दूसरी ओर इस घटना की वजह से अभी और भी नुकसान होना जारी है।
इस बारे में अमर सिंह, देशराज, जोगिंदर, उत्तम सिंह, सावन कुमार, चमन कुमार, नरेश कुमार, विजय कुमार, अशोक और अन्य ग्रामीणों का कहना है कि एक ओर सराहन, गुवाड़ पंचायत के सैकड़ों लोगों, जिनमें राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल साहो और खोल के विद्यार्थी और नौकरी-पेशा लोग भी शामिल हैं, इस पुल से गुजरते हैं, वहीं 10 से ज्यादा पंचायतों के लोग भी रोजमर्रा में अपनी-अपनी जरूरतों के लिए जिला मुख्यालय का रुख करते हैं। ऐसे में प्रशासन को जल्द से जल्द इस पुल की मरम्मत करनी चाहिए।
अपनी इस मांग को रखते हुए ग्रामीणों ने एक और खास पहलू की तरफ ध्यान खींचने की कोशिश की है। लोगों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग (PWD) ने 40 साल पहले यह पुल बनाया था, मगर इसके बाद विभाग पुल की मरम्मत करना भूल ही गया। हालांकि पुल की मरम्मत को लेकर जल शक्ति मंत्री महिंद्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में साहो में आयोजित जन मंच में भी मुद्दा उठाया गया था। उस वक्त उपायुक्त रहे दुनीचंद राणा ने 8 लाख रुपए देने की बात कही थी, लेकिन स्थानीय पंचायत और लोक निर्माण विभाग में तालमेल की कमी खुलकर सामने आई। परेशान जनता ने बताया कि एक ओर पुल की मरम्मत की जिम्मेदारी पंचायत और लोक निर्माण विभाग दोनों एक-दूसरे पर डाल रहे हैं, वहीं एक साल पहले जिला परिषद के एजैंडे में भी शामिल किए जाने के बावजूद इस समस्या का समाधान नहीं हुआ। आखिर नतीजा सबके सामने है कि अब यह पुल टूट जाने से हजारों लोगों को पता नहीं कितने वक्त तक परेशानी का सामना करना पड़ेगा।