राजेन्द्र ठाकुर/चम्बा
हिमाचल प्रदेश की सरकार वैसे तो सुख सरकार है, लेकिन चम्बा के लोगों के लिए यह सरकार दुखदायी साबित हो रही है। मामला यहां के पंडित जवाहर लाल नैहरू राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय (Pt. JLN Govt. Medical College) के ट्रॉमा केयर सैंटर का है। इस सैंटर को बिना पूरी तैयारी के और एकदम गुपचुप तरीके से शुरू कर दिया गया है। इससे भी बड़ी बात तो यह भी है कि इस बारे में मैडिकल कॉलेज के अफसरान कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। हों भी कैसे? अगर बेचारों ने कुछ भी बोला तो उसके खुद के बाल-बच्चों के सामने दो जून की रोटी का संकट आ जाएगा। बहरहाल, इस बात में कोई दो राय नहीं कि जब तक कोई रहस्योदघाटन नहीं हो जाता, तब तक हाशिया यूं ही खड़ा रहेगा कि चम्बा जिले के लोगों की आंखों में धूल आखिर झोंकी तो झोंकी क्यों गई?
बता दें कि जुलाई 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की तरफ से चम्बा मैडिकल कॉलेज में ट्रॉमा सैंटर की सुविधा का ऐलान किया गया था। चम्बा दौरे पर आए जयराम ठाकुर ने खुद इसका शिलान्यास किया था। अनुमान था कि 31.59 करोड़ रुपए खर्च करके लोगों को बेहतरीन सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। महीनों बाद दिसंबर 2022 में ही सत्ता परिवर्तन हो गया। जुलाई 2023 में चम्बा सदर के विधायक नीरज नैय्यर के हवाले से खबर आई कि राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने पंडित जवाहर लाल नैहरू राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय के निर्माणाधीन भवन के लिए 84 करोड़ रुपयों की अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध कराई है। विधायक ने मुख्यमंत्री सुक्खू का आभार भी व्यक्त किया। बावजूद इसके नतीजा यह है कि अभी तक यहां काम शुरू नहीं हो पाया है। लोग इसे सिर्फ एक चुनावी जुमला मानकर भूल चुके हैं।
क्यों उठ रहे सवाल?
इसी बीच पंडित जवाहर लाल नैहरू मैडिकल कॉलेज चम्बा के सरोल परिसर में शुक्रवार को ट्रॉमा सैंटर को लोगों के लिए खोल दिया गया। हालांकि कमी से जूझ रहे मैडिकल कॉलेज अस्पताल के कुछ विशेषज्ञ चिकित्सकों, पैरा मैडिकल स्टाफ और फोर्थ क्लास कर्मचारियों को मैडिकल काॅलेज परिसर सरोल में शिफ्ट किया गया है, लेकिन यह काम चलाऊ व्यवस्था लोगोें की परेशानी बढ़ाने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं करेगा। कारण, अभी तक न तो यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों व पैरा मैडिकल स्टाफ की तैनाती उतनी है, जितनी कि जरूरत है और न ही MRI, CT scan, अल्ट्रासाउंड या एक्स-रे जैसी सुविधा उपलब्ध है। अगर किसी दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुए किसी व्यक्ति को लाया गया तो टैस्ट के लिए उसे चम्बा अस्पताल ले जाना पड़ेगा। वहां टैस्ट करवाने के बाद इलाज के लिए सरोल लाना किसी भी लिहाज से सही कदम नहीं कहा जा सकता।