राजेन्द्र ठाकुर/शिमला
हिमाचल प्रदेश में राजनैतिक संकट (Himachal Pradesh Political Crisis) खड़ा करने वाले कांग्रेस के 6 बागी विधायकों (6 Rebel MLAs of Congress) को उनके किए की सजा मिल गई। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया (Speaker Kuldeep Pathania) ने सभी की विधानसभा से सदस्यता रद्द कर दी है। सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि अब ये सभी स्पीकर के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। दूसरी ओर ऑब्जर्वर डीके शिवकुमार के साथ बैठक के बाद लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपना इस्तीफा वापस लेने की घोषणा कर दी है।
दरअसल, बीते दिनों राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election) के वक्त कांग्रेस के 6 विधायक बागी हो गए। धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा, सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा, कुटलैहड़ के विधायक देवेंद्र भुट्टो, गगरेट के विधायक चैतन्य शर्मा, लाहौल स्पीति के विधायक रवि ठाकुर और बड़सर के विधायक इंद्र दत्त लखनपाल की तरफ से की गई क्रॉस वोटिंग के चलते पार्टी के प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के हर्ष महाजन के सामने हार का मुंह देखना पड़ा।
जैसा कि भाजपा नेतृत्व की तरफ से सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही गई थी तो कांग्रेस हाईकमान की तरफ से डीके शिवकुमार को ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया। डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शिमला पहुंचकर नाराज विधायकों के साथ बात की। हालांकि क्रॉस वोटिंग के बाद पंचकूला में ठहरे ये 6 विधायक भी शिमला गए थे, लेकिन एक ओर बजट के दौरान विधानसभा में उपस्थित नहीं हुए, वहीं ये सभी भाजपाइयों के साथ नजर आए।
हर्षवर्धन चौहान ने की थी याचिका दायर
इस संबंध में संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने दलबदल विरोधी कानून के तहत याचिका दायर करके बागी विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग की थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को इसे सार्वजनिक करते हुए पठानिया ने कहा कि बागी विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई है। इन सभी की के खिलाफ व्हिप का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की गई है। उधर, खबर आई है कि स्पीकर के फैसले को चुनौती देने के लिए बागी विधायक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।