कोरोना वारियर्स को पिछले सवा साल से नहीं मिल रहा वेतन; स्थायी नीति की मांग भी अधूरी, अब विरोध में उठी आवाज-हमें हल चाहिए
चम्बा (राजेन्द्र ठाकुर). चंबा सिविल अस्पताल में बुधवार को नोवावैक्स कोविड 19 एसोसिएशन की एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में कोविड 19 के आउटसोर्स स्टाफ की स्टाफ नर्सों, वॉर्ड बॉय, सफाई कर्मचारियों आदि ने बढ-चढकर भाग लिया। इस दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार से अपील की गई कि दो हज़ार से ज्यादा आउटसोर्स कोविड 19 कर्मचारियों को नौकरियों से वंचित न किया जाए, प्रदेश के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में खाली पड़े पदों पर इन्हें रखा जाए और इनके हित के लिए स्थायी तौर पर नीति बनाई जाए।
बता दें कि पूरे हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के 2 हज़ार से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी कोविड संक्रमण की शुरुआत से रैगुलर स्टाफ के साथ सरकारी अस्पतालों में पूर्ण रूप से अपनी सेवाएं दे रहा है। हालांकि इस स्टाफ को कोविड वारियर्स की उपाधि से नवाज़ा गया था, लेकिन आज उनकी ऐसी दुर्दशा है कि तकरीबन 15 महीने से न तो वेतन दिया गया है और न ही इनके लिए अभी तक कोई स्थायी नीति बनाई गई है। इसी संदर्भ में बुधवार को हुई एक बैठक में काफी विचार-विमर्श किया गया। नोवावैक्स कोविड 19 एसोसिएशन की फाउंडर मैंबर सामाज सेविका व अखिल भारत हिंदू महासभा की राष्ट्रीय महासचिव निशा कटोच ने कहा कि प्रदेश के समस्त आउटसोर्स कोविड 19 कर्मचारियो के साथ हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार से अपील है कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अभी भी खाली पड़े काफी पदों पर इस वर्ग के कर्मचारियों को रखा जाए। इनके लिए स्थायी तौर पर एक नीति बनाई जाए, जिससे कि इसकैटेगरी के स्टाफ का भविष्य सुरक्षित रहे।
इसी संदर्भ में नोवावैक्स कोविड 19 एसोसिएशन की अध्यक्ष नीशिता ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के कोविड 19 स्टाफ को वेतन न मिलने के कारण मानसिक तनाव से गुजरना पड़ रहा है। ऊपर से नौकरी जाने का भी खतरा लगातार बना हुआ है। अध्यक्ष अजहर,
सामान्य सचिव देस राज ने सरकार के समक्ष अपील की है कि हिमाचल प्रदेश सरकार जल्द से जल्द उनकी मांगों को पूरा करे और एक स्थायी पॉलिसी बनाकर कर्मचारियों के सिर पर लटक रही एक्सटैंशन की तलवार को हटाए।