- 1 जनवरी 1917 को चरखी दादरी जिले के गांव कादमा में जन्मी रामबाई ने पहली बार 27 नवंबर 2021 को राष्ट्रीय मास्टर एथलैटिक्स चैंपियनशिप में लिया था भाग, जीते थे चार तमगे
पानीपत/चरखी दादरी. लगभग 45 सैकंड्स में 100 मीटर की दौड़ अपने आप में कोई छोटी बात नहीं है। भई चौंकिए मत हम उसेन बोल्ट की बात नहीं कर रहे, बल्कि उन लोगों की बात कर रहे हैं, जिनसे ठीक से उठ खड़ा होने की भी आस नहीं की जाती। इसी वर्ग में एक नाम है दादी रामबाई। उम्र भले 106 साल की है, लेकिन इनकी तारीफ सुनते ही अच्छे-अच्छे खिलाड़ियों के पसीने छूट जाते हैं। रामबाई को भारत की उसेन बोल्ट यूं ही नहीं कहा जाता, इसके पीछे कुछ तो राज जरूर है। आज शब्द चक्र न्यूज इसी राज पर बात करेगा…
अंग्रेजों के शासनकाल में क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के दादा जॉर्ज वी के समय में 1 जनवरी 1917 को हरियाणा के चरखी दादरी जिले के गांव कादमा में जन्मी रामबाई जिंदगी की पिच पर सैंचुरी मारने के बावजूद एकदम चुस्त-दुरुस्त हैं। 27 नवंबर 2021 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित सिगरा स्टेडियम में आयोजित राष्ट्रीय मास्टर एथलैटिक्स चैंपियनशिप में 100, 200 मीटर की दौड़ और लंबी कूद में हिस्सा लेकर हर किसी को हैरान कर दिया था। यही वो वक्त था, जब परिवार को पहली बार ही पता चला था कि वरिष्ठ नागरिकों की भी दौड़ प्रतियोगिता होती हैं। रामबाई ने कहा था, ‘मैं दोबारा दौड़ना चाहती हूं’।
वहां चार तमगे जीतने के वाली सुपर दादी रामबाई ने 45.40 सैकंड्स में 100 मीटर की दौड़ में रिकॉर्ड बनाया था। इससे पहले यह रिकॉर्ड मान कौर नामक महिला के नाम था, जिन्होंने 74 सैकंड्स में यह रेस पूरी की थी। रामबाई ने यही रिकॉर्ड बैंगलुरू में हुई राष्ट्रीय मास्टर एथलैटिक्स चैंपियनशिप में भी दोहराया। आधा दर्जन से ज्यादा गोल्ड मैडल जीत चुकी दादी रामबाई ने अब उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक और कीर्तिमान स्थापित कर दिया। अलवर की पूर्व महारानी व पूर्व लोकसभा सांसद युवरानी महेंद्र कुमारी की स्मृति में आयोजित 18वीं युवरानी महेंद्र कुमारी राष्ट्रीय एथलैटिक्स चैंपियनशिप में दादी रामबाई ने 100 मीटर दौड़ में प्रथम स्थान हासिल किया है।
दादी ही नहीं, बल्कि पूरा परिवार है खेलों में सक्रिय
गजब की बात तो यह भी है कि रामबाई अकेले नहीं, बल्कि इनका पूरा परिवार खेलों के प्रति जागरूक है। रामबाई अक्सर अपनी दो और पीढ़ियों के साथ किसी न किसी खेल मंच पर खेलप्रेमियों की तारीफ लूटती नजर आ जाती हैं। इनके साथ बहू भी 100 और 200 मीटर में दौड़ी थी, वहीं पोती ने 5000 मीटर वाकरेस में हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं, रामबाई के 70 साल के पुत्र मुख्तयार सिंह ने 200 मीटर दौड़ में ब्रॉन्ज मैडल तो 62 साल साल की बेटी संतरां देवी रिले रेस में गोल्ड मैंडल जीत चुकी हैं। बहू भी रिले दौड़ में गोल्ड और 200 मीटर दौड़ में ब्रॉन्ज मैडल जीतकर गांव और प्रदेश का नाम रोशन कर चुकी हैं।
अच्छी डाइट और कड़ी मेहनत है सुपर दादी की फिटनैस का राज
अब बात आती है कि दादी रामबाई ऐसा क्या खाती हैं कि जिंदगी के इस पड़ाव में वह 18 साल की छोरी जैसी जवान हैं। जानकार बड़ी हैरानी होगी कि वह घी-दूध और दही की शौकीन हैं। रामबाई की पोती शर्मिला बताती हैं कि वह (रामबाई) चावल वगैरह बिलकुल नहीं खाती। वह 250 ग्राम घी के साथ रोटी खाती हैं। हरियाणा की फेमस डिश चूरमा तो इनकी जान है। इसके अलावा 500 ग्राम दही का सेवन करती हैं। इसके अलावा दिन दो बार आधा-आधा लीटर दूध भी पीती हैं। उधर, जितनी अच्छी उनकी डाइट है, उतना ही वह मेहनत भी करती हैं। गोल्ड मैडलिस्ट रामबाई बताती हैं कि उन्होंने खेतों के कच्चे रास्तों पर प्रैक्टिस की है। उनके दिन की शुरुआत सुबह 4 बजे होती है। 5-6 किलोमीटर की दौड़ के साथ पैदल चलने का उनका अभ्यास लगातार जारी है। साथ ही घर के काम में भी हाथ बंटा लेती हैं। दादी रामबाई की मानें तो उनका सपना विदेशी धरती पर तमगा जीतने का है।