बचपन से निकलते ही रखा नशे के दलदल में कदम, संभलने लायक हुआ तो छोड़ गया परिवार को बिलखता; सवाल-आखिर कब रुकेगा नशे का चलन? क्या कर रही है पंजाब पुलिस?
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फिरोजपुर की बस्ती टैंकां वाली के 26 वर्षीय रजतप्रीत के रूप में हुई है मृतक युवक की मौत
फिरोजपुर. पंजाब के सरहदी क्षेत्र फिरोजपुर में रविवार को एक नौजवान की नशे की ओवरडोज से मौत हो गई। बताया जा रहा है कि वह पिछले 13-14 साल से नशा करता था, यानि बचपन से तरुणावस्था में कदम रखते ही वह गलत संगत में पड़ गया। नशे वाली गोलियां भी खाता था, चिट्टे (हैरोइन) का टीका भी लगाता था। आखिर नतीजा यह हुआ कि जब संभलने लायक हुआ तो मां-बहन और एक भाई को बिलखते छोड़ गया। घर वालों की मानें तो यह युवक नशे से तंग आ चुका था। छोड़ना भी चाहता था, लेकिन छोड़ नहीं सका। पुलिस प्रशासन को चाहिए कि प्रदेश में नशे के चलन पर रोक लगाने के लिए ईमानदारी से काम करे, ताकि जवानी इस तरह जवान होने से पहले ही खत्म न हो।
मृतक युवक की पहचान फिरोजपुर सिटी और कैंट के बीच एक सेतु का काम करती बस्ती टैंकां वाली के 26 वर्षीय रजतप्रीत के रूप में हुई है। मिली जानकारी के अनुसार रविवार को पास ही यह युवक बेसुध हालत में पाया गया। आनन-फानन में इसे अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन वहां डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया। मौत की वजह नशे की ओवरडोज को बताया जा रहा है। परिजनों ने सेहराबंदी के साथ इस युवक को अंतिम विदाई दी। इसका कारण इसका अविवाहित होना है, क्योंकि सामाजिक परम्परा है कि एक मां-बाप के अरमानों की कद्र करते हुए अविवाहित लड़के या लड़की को अंतिम संस्कार से पहले विवाहित की तरह सजाया जाता है। अब रजतप्रीत के घर शोक जताने वालों का तांता लगा हुआ है। जानकारी मिली है कि यह युवक किशोरावस्था में कदम रखते ही यानि करीब 13-14 साल पहले ही नशा करने लग गया था। परिवार वालों ने बहुत कोशिश की नशा छुड़वाने की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हालांकि घर वालों की मानें तो अब तो रजतप्रीत खुद भी नशे के दलदल से निकलना चाहता था।
मृतक रजतप्रीत की मां और बहन के अलावा आस-पड़ोस की अन्य महिलाओं ने भी फिरोजपुर पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए सिर्फ और सिर्फ प्रदेश की सत्ता और पुलिस प्रशासन है। समय-समय की सरकारों की तरफ से नशे और अपराध पर लगाम लगाने के दावे तो बहुत किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इसके एकदम उलट है। अगर इन दावों में रत्तीभर भी सच्चाई हो तो इस तरह आए दिन पंजाब की किसी मां की कोख सूनी न हो। घर वालों की मानें तो यह युवक नशे से तंग आ चुका था। छोड़ना भी चाहता था, लेकिन छोड़ नहीं सका। सरहद पार से आता हो चाहे, पंजाब के अंदर कहीं से आता हो, पर यही नशा उनके लाल को खा गया। इस पर सच्चे मन से कार्रवाई करके रोक लगाना समय की जरूरत है। नहीं तो एक दिन पंजाब के लगभग हर घर में कई विधवा महिलाएं या अनाथ बच्चे ही दिखाई देंगे।