- 2 अप्रैल को भिवानी के खरक कलां में पुलिस भर्ती पर लगी रोक को लेकर हाईकोर्ट के जज का नाम लिए बिना कही थी दिमाग में गड़बड़ होने की बात, बाद में मांगी माफी
- अब एक ओर मुख्यमंत्री के खिलाफ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को शिकायत पहुंच गई, दूसरी ओर भिवानी के ही तोशाम में थाना प्रभारी की कुर्सी पर जा बैठे मनोहर लाल
- नियम के तहत किसी भी विभाग के प्रभारी की कुर्सी पर कोई जनप्रतिनिधि नहीं बैठ सकता
नई दिल्ली/चंडीगढ़. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल एक विवाद से निकल नहीं पाए हैं कि उन्होंने दूसरे की तैयार कर ली। पहले उन्होंने एक जज का अपमान किया और अब वह एक इंस्पैक्टर की कुर्सी पर जा बैठे। इसी के चलते वह राजनैतिक गलियारों में विवाद का पात्र बनते नजर आ रहे हैं। यह अलग बात है कि जज की अवमानना के मामले में माफी मांग लिए जाने के बावजूद यह मामला सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया। दूसरी ओर नए विवाद की बात करें तो नियम के तहत किसी भी विभाग के प्रभारी की कुर्सी पर कोई जनप्रतिनिधि नहीं बैठ सकता, लेकिन सीएम मनोहर लाल ने यह गलती भी कर डाली।
ध्यान रहे, 2 अप्रैल को भिवानी जिले के गांव खरक कलां में एक कार्यक्रम के दौरान कॉन्स्टेबल भर्ती पर रोक लगने के मामले में एक शख्स ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से पूछा कि आपकी सरकार ने नौकरियां देने का वादा किया था, लेकिन अभी तक उस वादे को 100 फीसदी पूरा नहीं किया जा सका है। हालांकि, कुछ लोगों को नौकरियां जरूर मिली हैं, लेकिन जो आकंड़ा बताया गया था उतनी नौकरी नहीं दी गई हैं। शख्स के इस सवाल पर सीएम ने कहा कि जो समस्या है, वो हल हो जाएगी। असल में एक जज है, उसके माथे में कुछ गड़बड़ है। उसे हम ठीक करेंगे। पांच हजार में से तीन हजार को तो नौकरियां मिल गई हैं ना, और जो बच गए हैं उन्हें भी जल्दी ही करवा देंगे।
आलोचना होने लगी तो मुख्यमंत्री ने इस पर माफी मांग ली, लेकिन बावजूद इसके मुख्यमंत्री मनोहर लाल के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में शिकायत पहुंच गई है। पूर्व मंत्री अतर सिंह सैनी और हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश चेयरमैन एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने इस मामले में दोनों अदालतों को शिकायत भेजकर मुख्यमंत्री के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की है।
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को भेजी शिकायत में अतर सिंह सैनी और कॉन्ग्रेस नेता एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि हम भी वकील है, जो ऑफिसर ऑफ दी कोर्ट होता है, इस वजह से हमें भी पीड़ा हुई है। इस तरह का बयान न्यायिक अधिकारी, वह भी माननीय उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश के लिए सीधा खतरा है और सीधे तौर पर यह अदालत की आपराधिक अवमानना है। न्यायपालिका के सम्मान और गरिमा को बचाने के लिए यह आवश्यक है कि सार्वजनिक मंच पर ऐसे बयान देने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए।
अब हुआ ये नया विवाद खड़ा
मंगलवार को भिवानी जिले के कस्बा तोशाम पुलिस थाना में अचानक पहुंच गए, जहां एसएचओ की कुर्सी पर जा बैठे। एसएचओ की कुर्सी पर बैठे मुख्यमंत्री के सामने फरियादी की तरह सामने पुलिस अधीक्षक अजीत सिंह शेखावत बैठ गए। थाने में कुछ देर एसएचओ की कुर्सी पर बैठकर मुख्यमंत्री मनोहर ने रजिस्टरों की जांच की। इसके बाद थाने में स्ट्रांग रूम और पुलिस कर्मचारियों के खाने के मैस का भी निरीक्षण किया।
मुख्यमंत्री ने पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए कि पुलिस थानों में आने वाले हर फरियादी की सुनें और उसकी शिकायत पर तत्परता से कार्रवाई कर न्याय दिलाएं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तोशाम पुलिस थाना में तैनात पुलिस कर्मचारियों से बात की और उनके वहां क्या दिक्कतें हैं, ये भी जाना। थाने में कर्मचारियों के लिए जरूरी इंतजाम के लिए पांच लाख रुपए बजट की घोषणा भी की। थाने की स्वच्छता देखकर तोशाम पुलिस थाना एसएचओ सुखबीर जाखड़ की पीठ थपथपाई। वहीं सीएम ने पुलिस थाने के रोजना के रजिस्टर और थाने की व्यवस्था निरीक्षण का ब्यौरा दर्ज कर नीचे अपने हस्ताक्षर किए।