उत्तर प्रदेश के बागपत में लाक्षागृह और मजार विवाद पर एडीजे कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. ज्ञापन के बाद हिंदुओं को एक और बड़ी जीत मिली है. आपको बता दें कि पिछले 50 साल से बागपत में लाक्षागृह और बदरुद्दीन शाह की कब्र को लेकर विवाद चल रहा है. अब 100 बीघे जमीन और कब्र पर हिंदू पक्ष को मालिकाना हक मिल गया है. कोर्ट ने माना है कि यह कोई कब्र नहीं, बल्कि महाभारत काल में पांडवों को मारने की साजिश के तहत कौरवों द्वारा बनवाया गया लाक्षागृह है।
विवाद की शुरुआत साल 1970 में हुई थी, जब मुस्लिम पक्ष की ओर से मुकीम खान ने लाक्षागृह टीले को बदरुद्दीन शाह की कब्र और कब्रिस्तान बताते हुए टीले की करीब 100 बीघे जमीन के मालिकाना हक को लेकर केस दायर किया था. इसमें ब्रह्मचारी कृष्णदत्त महाराज को प्रतिवादी बनाया गया था.
महाभारत काल के साक्ष्य मिले
हिंदू पक्ष के वकील रणवीर सिंह ने कहा कि मुस्लिम पक्ष 100 बीघे जमीन को कब्रिस्तान और मजार बताकर कब्जा करना चाहता है. उन्होंने इस संबंध में सभी साक्ष्य न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किये हैं, जबकि लाक्षागृह का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। ये बात देश और दुनिया जानती है. लाक्षागृह टीले पर संस्कृत विद्यालय और महाभारत काल के निशान भी मौजूद हैं।
कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया
एएसआई ने यहां खुदाई कर प्राचीन सभ्यता के अवशेष बरामद किए थे, जिसके आधार पर हिंदू पक्ष ने दावा किया कि कब्र समेत पूरा हिस्सा महाभारत काल का है और कोर्ट से मालिकाना हक की मांग की थी. लाक्षागृह और मजार विवाद पर एडीजे कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. 100 बीघे जमीन और मजार पर हिंदू पक्ष को मालिकाना हक मिल गया है. इस दौरान हिंदू पक्ष की ओर से 10 से ज्यादा गवाहों ने गवाही दी