How Strange! 11वीं पास लड़की को 12वीं के Exams दिलवाने की बजाय कहा जा रहा-9वीं में पढ़ो
अंबेडकरनगर. कोरोना वायरस के संक्रमणकाल ने भी बहुत से लोगों को बहुत अलग-अलग तरह से नुकसान पहुंचाया है। हाल ही में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में भी एक मामला सामने आया है। यह भुक्तभोगी भी कोरोना के संक्रमणकाल में मिले फायदे की वजह से नुकसान में चली गई। कितनी गजब की बात है कि 11वीं पास कर चुकी लड़की को 9वीं कक्षा में बैठने के लिए कहा जा रहा है। आखिर मजबूर होकर उसने 12वीं में पढ़ने के अपने हक के लिए पुलिस केस दर्ज कराया है। आइए मामले को जरा तफसील से जानते हैं…
दरअसल, अंबेडकर नगर की रहने वाली अंशिका पांडेय जहांगीर गंज के MR फैजाने हलीम इंटर कॉलेज से कोरोना के समय 2021 में हाई स्कूल में प्रोमोट हुई थी। स्कूल ने 11वीं में रजिस्ट्रेशन किया। 11वीं पास भी हो गई और अब इंटर की परीक्षा होने वाली है तो स्कूल ने उसे फिर से 9वीं में पढ़ने की शर्त रख दी। 2 साल बीत जाने के बावजूद उसकी हाई स्कूल की मार्कशीट नहीं मिली है। आरोप है कि स्कूल प्रबंधक ने भ्रष्टाचार करके लड़की के 9वीं कक्षा के रजिस्ट्रेशन नंबर पर हाई स्कूल के दूसरे छात्र को प्रोमोट करके मार्कशीट दे दी।
अंशिका की मानें तो स्कूल प्रबंधन ने 3 साल दौड़ाने के बाद नवंबर 2022 में उसे कहा कि तुम्हें फिर से कक्षा-9 में पढ़ना होगा। इसके बाद मजबूर होकर 12 दिसंबर 2022 को थाना राजे सुल्तानपुर में स्कूल प्रबंधक मोहम्मद अब्दुल समी, प्रधानाचार्य हफीजा खातून और क्लर्क सीताराम के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया, मगर पुलिस ने अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया है।
अंशिका ने माध्यमिक शिक्षा परिषद के वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय में क्षेत्रीय सचिव को भी पत्र लिखकर इससे अवगत कराया। लेकिन, अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्यकांत शुक्ला से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह गंभीर चूक है। इसकी जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी होगा। उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
दूसरी तरफ, स्कूल प्रबंधक, प्रिंसिपल और स्टाफ ने पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अरेस्ट स्टे के लिए आवेदन दिया है। 3 जनवरी को अरेस्ट स्टे पर सुनवाई होगी। छात्रा अंशिका पांडे ने कहा, “मार्क शीट मुझे नहीं मिली और मुझे स्कूल के प्रबंधक अब्दुल समी तारीख की तारीख देते रहे। अब सुलह समझौता करने का दबाव बना रहे हैं। ऐसी स्थिति में हम क्या करें और मेरे भविष्य के साथ इतने दिन से जो खिलवाड़ होता रहा है। उसकी भरपाई कैसे होगी।
इस मामले में जब स्कूल के प्रबंधक अब्दुल समी से बात की गई तो कहा कि मेरे यहां से कागज में कोई गलती नहीं की गई है। मेरा कागज मेनटेन है। कंप्यूटराइज समस्या के कारण एक ही रोल नंबर पर अलग-अलग नाम उठा लिया, जो डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया। मैंने बच्ची के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया है।