साहित्य चक्र

Bakra Eid: अमन की दुआ नहीं, मानसिक दिलवालियापन है ये, जब हिंदू धर्म में बलि बंद हो सकती है तो फिर मुसलमान को अक्ल क्यों नहीं आती, कत्ल नहीं त्याग है कुर्बानी का मतलब

आज 10 जुलाई 2022 है।

ग्रेगोरियन कैलेंडर के 7वें महीने का 10वां यानि साल का 191वां दिन। इस दिन की वैसे तो कोई खास अहमियत नहीं होती, लेकिन आज संयोग है कि धार्मिक दृष्टि से दो धर्मों के लोगों के लिए यह खास बन गया। इनमें से दुनियाभर में एक धर्म के करोड़ों लोग आज बड़े खुश हो रहे होंगे कि आज इन्होंने अल्लाह को राजी कर लिया है। दुनिया की सारी अब इन्हीं के नाम हो जाएगी। सिर झुकाकर सजदा करने वाली जगह ईदगाह कसाईवाड़ा बन चुकी हैं। नालियों में पानी की जगह खून बह रहा है और ये लोग कहते फिर रहे हैं कि ये अमन की दुआ कर रहे हैं। एक ओर ये लोग हैं, जो मांस खाकर खुशी मनाएंगे और दूसरी तरफ वो लोग हैं, जिनके लिए आज हरिशयनी एकादशी है। इस धर्म के लोग आज तो क्या साल में आने वाली 24 एकादशियों में से किसी भी एकादशी को चावल तक खाना महापाप समझते हैं, वहीं आज वो तिथि है, जिसके बाद अगले कई महीने तक कोई भी पवित्र काम जैसे ब्याह-शादी और बड़ा धार्मिक अनुष्ठान नहीं कर सकते। दोनों धर्मों में बहुत फर्क है।

किसी कवि ने क्या खूब लिखा है…

देख! तेरी सोच ने चंदा मामा का भी

एक जुदा रूप बना डाला

फर्क है, हां देख फर्क है उसी चांद के दीदार का

फर्क है भूखे रहकर तेरे मांस भक्षने

…और मेरे यहां सुगंधित पकवान के इंतजार का

तेरी ईद और मेरे करवा चौथ में!

तू ही बता कितना फर्क है

तेरे यहां चांद देख खून बहाकर

मुबारकबाद दी जाती है…

पर मेरे यहां चांद देखकर

लंबी उम्र की कामना की जाती है

दिल पर हाथ रख, दो जहां के मालिक को याद कर थोड़ा शांत बैठ, फिर

अपने अंदर की सुन मेरे प्यारे

जिस दिन समझ जाएगा, तू छोड़ देगा

ढोंग करना अमन की दुआ, ढोंग झूठे प्यार का…

अब बात है अपनी-अपनी भावनाओं की। इन्हीं भावनाओं की देन है ईद। ईद का भाषायी मतलब त्यौहार निकलता है। आइए सबसे पहले जानते हैं कि ईद कितनी हैं, कब और क्यों मनाई जाती है। इनमें से एक बकरा ईद पर सरेआम खून बहाने के पीछे की परंम्परा क्या है।

इस्लाम मान्यता के मुताबिक साल में तीन बार ईद मनाई जाती है। पहली है पहली ईद है मिलाद उल-नबी यानि हज़रत मुहम्मद की जन्मतिथि है। दूसरी ईद उल-फ़ित्र (रमज़ान. के रोज़ों के बाद शव्वाल की पहली तारीख को मनाई जाती है। तीसरी है ईद-उल-अज़हा-इसे भरतखंड में बक़रा-ईद भी कहा जाता है। यह इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने की दसवीं तारीख को मनाया जाता है।

इस दिन ज्यादातर मुसलमान बकरे, भैंस, ऊंट की कुर्बानी देते हैं। मान्यता है कि अल्लाह ने नबी इब्राहिम का इम्तिहान लेने के लिए उन्हें उनके बेटे इस्माइल को कुर्बान करने का हुक्म दिया। इब्राहिम ने इसके बाद वह बेटे को लेकर घर से दूर लेकर गए और खुदा का हुक्म सुनाया तो बेटे ने एक कपड़ा देते हुए कहा, ‘आप इसे अपनी आंखों पर बांध लें, क्योंकि आप बाप हैं। औलाद को कुर्बान नहीं कर पाएंगे। इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और बेटे की गर्दन पर छुरी चला दी। जब पट्टी खोली तो बेटा सामने जिंदा खड़ा था और उसकी जगह एक दुम्बा (सऊदी में पाई जाने वाली भेड़ की नस्ल) कुर्बान हो गया था। इसके बाद से ही लोग बकरे की कुर्बानी देते हैं। हर मुसलमान कुर्बानी से कम से कम तीन दिन पहले बकरे को खरीदकर अपने घर लाता है, ताकि उन्हें उस जानवर से मोह हो जाए, जिसे वो कुर्बान करने जा रहा है। भाई जान! बदलो, वो भी मूर्खता थी और आज जो आप लोग कर रहो हो वह भी बेवकूफी है। हजरत इब्राहिम के बेटे की जान बचना एक संयोग हो सकता है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर बार ऐसा ही हो। अगर ऐसा नहीं है तो जरा अपने बेटे की गर्दन रखकर देख लो एक बार। अपने आप ही हकीकत का अंदाजा हो जाएगा।

अब कुछ लोग ये दलील भी देंगे कि हमें किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहिए तो सीधा सा जवाब है कि खून बहाने वाले इन लोगों को बुरा लगना चाहिए। इनकी भावनाएं आहत होनी चाहिए। इतिहास गवाह है, जब तक कोई चीज बुरी नहीं लगती, तब तक हम अपने रवैये को बदलने की सोचते ही नहीं हैं। इन लोगों को कुर्बानी का असली मतलब समझना होगा, जोकि त्याग होता है। त्याग का मतलब कत्ल निकाल लेना क्या मानसिक दिवालियापन नहीं है। क्यों हम सदियों पुरानी एक दकियानूसी सोच को ढो रहे हैं और कब तक ढोते रहेंगे। सोचना चाहिए कि अगर हम किसी को जीवनदान नहीं दे सकते तो उसकी जान लेने का भी हमें कोई हक नहीं है। एक-दूसरे को खुशी देनी चाहिए। इतना भी नहीं कर सकते तो कम से कम करुण क्रंदन (जानवरों की चीख) तो नहीं ही मचाना चाहिए। सीधे शब्दों में बात करें तो ईद (त्यौहार) पर सात्विक जीवन जीना चाहिए।

एक और खास उदाहरण है, पिछले कुछ बरसों से एक बात और प्रचलित हो रही है कि शिवलिंग पर दूध अर्पण करने की बजाय किसी भूखे-नंगे को पिलाया जाए तो भगवान भोलेनाथ ज्यादा खुश होंगे। यह बदलते जमाने की सोच व्यंग्य शैली वाली फिल्म Oh My God OMG में एकदम शुद्ध धंधे वाले कान जी भाई बने भारतीय जनता पार्टी के नेता परेश रावल के डायलॉग, ‘पत्थर पर दूध डालकर नालियों में बहाने की बजाय किसी भूखे को पिलाया जाए तो भोलेनाथ और ज्यादा प्रसन्न होंगे’ में भी आ चुका है। भई सोचने वाली बात है, जब पत्थर पर दूध डालने से भगवान खुश नहीं होते तो फिर भला खून बहाकर कैसे कोई भगवान या अल्लाह को खुश कर सकता है।

BMSahab (संपादक)

शब्द चक्र न्यूज

Show More

Related Articles

Back to top button
Hacklinkbetsat
betsat
betsat
holiganbet
holiganbet
holiganbet
Jojobet giriş
Jojobet giriş
Jojobet giriş
casibom giriş
casibom giriş
casibom giriş
xbet
xbet
xbet
kavbet
extrabet
extrabet giriş
casibom
deneme bonusu veren bahis siteleri
casino siteleri
deneme bonusu veren siteler
grandpashabet giriş
bonus veren siteler
grandpashabet
grandpashabet
grandpashabet
deneme bonusu veren siteler
jojobet
fixbet
fixbet giriş
fixbet güncel giriş
gamdom giriş
jojobet
jojobet giriş
gamdom
jojobetdeneme bonusu veren sitelerfethiye escortfethiye escortfethiye escortfethiye escortfethiye escortmarsbahisesenyurt escortesenyurt spaesenyurt spabeylikdüzü spaavcılar masaj salonucasibombakırköy masaj salonubeylikdüzü spabaşakşehir masaj salonuavcılar spaspaesenyurt spabeylikdüzü spaavcılar spabahçeşehir masaj salonuşirinevler masaj salonubeylikdüzü masaj salonubeylikdüzü masaj salonuesenyurt masaj salonubeylikdüzü masaj salonuesenyurt masaj salonuavcılar masaj salonujojobet güncel girişcasibomcasibom girişfixbet girişfixbetfixbet 2025 güncel girişmarsbahismarsbahismarsbahisjojobetjojobetjojobetjojobetdeneme bonusu veren sitelerfethiye escortfethiye escortfethiye escortfethiye escortfethiye escortmarsbahisesenyurt escortesenyurt spaesenyurt spabeylikdüzü spaavcılar masaj salonucasibombakırköy masaj salonubeylikdüzü spabaşakşehir masaj salonuavcılar spaspaesenyurt spabeylikdüzü spaavcılar spabahçeşehir masaj salonuşirinevler masaj salonubeylikdüzü masaj salonubeylikdüzü masaj salonuesenyurt masaj salonubeylikdüzü masaj salonuesenyurt masaj salonuavcılar masaj salonujojobet güncel girişcasibomcasibom girişfixbet girişfixbetfixbet 2025 güncel girişmarsbahismarsbahismarsbahisjojobetjojobetjojobet
Mapseskişehir web sitesiseo fiyatlarıMetafizikMedyumAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika Eşya alanlarAntika Eşya alanlarantikaİzmir Medyumweb sitesi yapımıAntika mobilya alanlarAntika mobilya alanlardijital danışmanlıkmarsbahismarsbahis giriş twittermarsbahis girişmarsbahisantika alımıgoogle ads çalışmasımarsbahisEskişehir Web Tasarımtoroslar evden eve nakliyatmarsbetmarsbahismarsbetmarsbetmarsbahis girişmarsbahis girişMapseskişehir web sitesiseo fiyatlarıMetafizikMedyumAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika Eşya alanlarAntika Eşya alanlarantikaİzmir Medyumweb sitesi yapımıAntika mobilya alanlarAntika mobilya alanlardijital danışmanlıkmarsbahismarsbahis giriş twittermarsbahis girişmarsbahisantika alımıgoogle ads çalışmasımarsbahisEskişehir Web Tasarımtoroslar evden eve nakliyatmarsbetmarsbahismarsbetmarsbetmarsbahis girişmarsbahis giriş