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1993 में पंजाब पुलिस में भर्ती हुए थे जिला शहीद भगत सिंह नगर के बलाचौर में जन्म अशोक कुमार चौहान, अब लुधियाना में हैं ट्रैफिक के जोन इंचार्ज
लुधियाना. पुलिस शब्द सुनते ही हमारे जेहन में एक छवि उभरती है और वो है संवेदनहीन, घूसखोर मोटे-काले खून चूसने वाले खटमल जैसे आदमी की। इसके उलट पंजाब के लुधियाना में एक पुलिस वाला ऐसा भी है, जिसका नाम आते ही सिर अदब से झुक जाता है। अशोक चौहान, नाम तो सुना ही होगा…। जी हां ट्रैफिक पुलिस में सहायक उप निरीक्षक (ASI) के पद तैनात गरीबों का यह मसीहा हर वक्त अपनी गाड़ी में चप्पल-जूते, पानी की पेटियां और दूसरा सामान रखता है। इतना ही नहीं, बेसहारा लोगों का नहलाने तक का काम भी अशोक चौहान अपने हाथों से करते हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें उपचार भी दिलवाते हैं। जहां कहीं भी कोई जरूरतमंद मिल जाता है, तुरंत उसे सुविधा मुहैया कराई जाती है। 1993 में अशोक पंजाब पुलिस में भर्ती हुए अशोक चौहान मौजूदा समय में ट्रैफिक के जोन इंचार्ज हैं। वह पिछले 10 साल से कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ शहर के बेसहारा लोगों के लिए सहारा बने असल जिंदगी में गणतंत्र दिवस के सिद्धांतों पर चल रहे हैं। दो बार 15 अगस्त को अशोक को जिला प्रशासन सम्मानित कर चुका है।
यह सब हर वक्त मिलता है अशोक चौहान की गाड़ी में
ASI अशोक कुमार की गाड़ी में हमेशा गर्म कपड़े, चप्पलें, बूट, पानी की पेटियां आदि सामान मौजूद रहता है। ये सामान उन लोगों को वितरित करते हैं, जो सर्दी में ठंड से ठिठुर रहे होते हैं। गर्मी के मौसम में लोगों को शीतल जल पिलाते हैं। अशोक की गाड़ी में प्राथमिक सहायता की किट हमेशा पड़ी रहती है। सड़क पर यदि कोई हादसाग्रस्त व्यक्ति मिल जाए तो अशोक सबसे पहले उसे प्राथमिक सहायता देकर उसे अस्पताल तक छोड़ कर आते हैं। ड्यूटी के दौरान अगर उन्हें कोई बच्चा नंगे पांव मिलता है तो वह उसके पांव में चप्पल खुद पहनाते हैं। वहीं पशुओं के भी गले में रिफ्लैटर बैल्ट लगाते हैं। दिमागी संतुलन खो जाने वाले कई लोग अशोक को चौक या सड़कों पर पड़े मिलते हैं। अशोक अपनी टीम के साथ वहां पहुंच व्यक्ति का उपचार करवाते हैं। कई वीडियो तो ऐसी भी सामने आई है जिसमें अशोक बुजुर्ग लोगों को खुद नहलाते हैं और उनके शरीर में पड़े कीड़े तक निकालते हैं। गजब की बात तो यह है कि अशोक किसी NGO के साथ भी नहीं जुड़े हुए हैं। वह अपनी निजी राशि और लोगों के सहयोग से जरूरतमंद लोगों की सेवा करते हैं।
मूल रूप से शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह के पैतृक जिले नवांशहर के बलाचौर में जन्मे अशोक बताते हैं कि उन्हें बेसहारा लोगों की सेवा करने की प्रेरणा अपने दादा से मिली है। दादा की आंखों की रोशनी नहीं थी, मगर वह जरूरतमंदों की सहायता करना कभी नहीं भूलते थे। वह गांव के बच्चों की सहायता करके खुश होते थे। वह गांव में सफाई का काम करते थे। उन्हीं से प्रेरित होकर वह इस सेवा को कर रहे हैं। इस तरह के सामाजिक कार्य करने से उनके दिल को सुकून मिलता है। वहीं ड्यूटी दौरान एक अलग तरह की जिंदगी का तजुर्बा भी मिल रहा है।
बकौल अशोक चौहान, मेरा बचपन काफी तंगहाली में गुजरा है, मगर अब मुझ पर भगवान की कृपा है। सैलरी का कुछ हिस्सा बेसहारा लोगों पर खर्च करता हूं। वैसे तो मैं पिछले 10 साल से हर किसी जरूरतमंद के काम आने की कोशिश करता हूं, लेकिन डेढ़ साल पहले ही इस प्रयास को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर डालना शुरू किया था।
अशोक की दरियादिली के दो किस्से जरूर जानें
अशोक चौहान बताते हैं कि एक बार राम को किसी परिवार की गाड़ी खराब हो गई तो मैकेनिक को बुलाकर गाड़ी को ठीक करवाया। उस परिवार के चले जाने के बाद उन्होंने (अशोक ने) देखा कि सड़क पर डायमंड का हार पड़ा है। इसके बाद वह 2 किलोमीटर बाइक चलाकर उस परिवार को वापस करने पहुंचे। ऐसे ही एक बार वीडियो शेयर करके एक बुजुर्ग को करीब 30 साल बाद पश्चिमी बंगाल में बैठे उसके परिवार से मिलवाया। अपने अच्छे कामों से पंजाब पुलिस का नाम रौशन कर रहे इस महान कर्मचारी को शब्द चक्र न्यूज का दिल की गहराई से साधुवाद। हमें ऐसे नेक आदमी से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।