कृषि चक्रहिम चक्र

बेमौसमी सब्जियां उगाकर किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने चंबा के संजीव कुमार

राजेन्द्र ठाकुर/चम्बा

आदमी कुछ अलग कर गुजरने की सोच रखता हो तो फिर सब संभव हो जाता है। ऐसे ही चंबा जिले के एक प्रयोग और प्रगतिशील किसान संजीव कुमार बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन करके अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ करने के साथ-साथ लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत  बन गए हैं। दरअसल, इस बात में कोई दो राय नहीं कि चंबा जिले की जलवायु बड़ी विविधता रखती है, ऐसे में यहां बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन की अधिक सम्भावनाएं मौजूद हैं। इन्हीं संभावनाओं को ग्राम पंचायत भनोता के ग्राम ठुकरला के संजीव कुमार ने भुनाया है।

  • चंबा जिले की जलवायु की विविधता को अच्छे से भुना रहे ग्राम ठुकरला के प्रयोगशील किसान संजीव कुमार, अपने साथ कई और को भी जोड़ा
  • अगस्त और सितंबर के महीनों में भी मटर, फ़्रांसबीन, गोभी, मूली, बैंगन, ब्रोकली, पालक की फसलें उगाकर कर रहे 4 से 5 लाख रुपये सालाना की कमाई 

संजीव कुमार वह प्रयोगशील किसान हैं, जो अगस्त और सितंबर में तीन बीघा भूमि पर मटर, फ़्रांसबीन, गोभी, मूली, बैंगन, ब्रोकली, पालक की फसल तैयार कर बाजार में अच्छी कीमत पर सब्जियां बेच रहे हैं। इस कार्य में उनके साथ चार से पांच किसान और भी जुड़े हैं। भनौता के किसान संजीव कुमार का कहना है कि किसान कृषि विभाग से बहुमूल्य जानकारी हासिल कर लाभ ले सकते हैं बेशर्त जी जान तोड़ मेहनत करें तो अपनी आर्थिकी को मजबूत कर सकते हैं।

ये हैं कचौरी वाली अम्मा; बुढ़ापे में छूटा पति का हाथ तो निकल पड़ी अंधेरी रातों में कचौरी बेचने, अब रोज कमा रही 2 हजार रुपए जानें संघर्षों पर हौसले की जीत की कहानी 

संजीव कुमार ने बताया कि कैसे जुटाए खेती के साधन

संजीव कुमार ने बताया कि बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन के लिए मुझे कृषि विभाग चंबा द्वारा प्रेरित किया गया विभाग के सहयोग एवं परामर्श से सभी प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग से यहां बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन में बेहतरीन कार्य हुआ हैऔर मुझे बेमौसमी सब्जियों के उन्नत किस्म के बीज भी कृषि विभाग द्वारा मुहैया करवाए गए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में युवा नौकरी की तलाश में संघर्ष कर रहे हैं, उससे बेहतर यह रहे गा कि बेरोजगार युवा भी अपनी भूमि पर बेमौसमी सब्जियां उगा कर रोजगार का साधन अपना सकते है। उन्होंने बताया कि चंबा कृषि विभाग द्वारा मुझे 50 प्रतिशत अनुदान राशि पर ट्रैक्टर मुहैया करवाया गया है उन्होंने यह भी कहा कि सिंचाई सुविधा न होने के कारण भू संरक्षण विभाग द्वारा पानी के टैंक के निर्माण के लिए 36 हजार की राशि उपलब्ध कराई गई, साथ में पावर ड्रिप उन्हें 80 प्रतिशत अनुदान राशि पर उपलब्ध हुआ, जिससे वह आसानी से अपने खेतों की सिंचाई कर रहे हैं।

क्या अमेरिका अपने सभी नागरिकों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करता है? क्या है सूरत-ए-हाल? जानने के लिए पढ़ें विदेशी मामलों की जानकार मनु चौधरी का यह लेख

संजीव कुमार बताते हैं कि बे मौसमी सब्जियों के उत्पादन मटर, फ़्रांसबीन, गोभी, मूली ,बेंगन, ब्रोकली ,पालक की फसल तैयार कर बिक्री कर रहे हैं। देश व प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले बे मौसमी होने के कारण, व्यापारी किसानों से खेतों में ही अच्छे दामों में खरीद रहें हैं। इन बेमौसमी सब्जियों से लगभग 4 से 5 लाख वार्षिक आय हो रही है इसके लिए उन्होंने कृषि विभाग तथा हिमाचल प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया और कहा कि सरकार किसानों के लिए और भी सुविधा सुविधाऐं व योजनाएं तथा उन्नत तकनीक लेकर आएं जिससे किसान और अधिक समृद्धशाली हो सके।

कृषि विभाग ने लगभग 2000 हेक्टेयर क्षेत्र पर की सूक्ष्म सिंचाई सुविधाएं स्थापित

उपनिदेशक कृषि विभाग ने डॉ. कुलदीप धीमान ने कहा कि जिला चंबा की विविध जलवायु होने के कारण यहां वे मौसमी सब्जियों के उत्पादन की अधिक सम्भावनाएं मौजूद हैं। जिला के किसानों की सिंचाई की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से शत प्रतिशत अनुदान पर दूर दराज नालों से पानी को सिंचाई कुहल के माध्यम से किसानों के खेतों तक पहुंचाया गया। पानी को इकत्रित करने के लिए किसानों के खेतों में जल भण्डारण टैंक बनाए गए और किसानों के खेतों में 80 प्रतिशत अनुदान पर सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियां स्थापित की गई हैं और पिछले कुछ वर्षों में लगभग 2000 हेक्टेयर क्षेत्र पर सूक्ष्म सिंचाई सुविधाएं स्थापित की गई हैं। ये सुविधाएं स्थापित करने के लिए पिछले दो वर्षों में नीति आयोग से कृषि विभाग को लगभग 150 लाख की धनराशि भी प्राप्त हुई है, जिन्हें कृषि आधारित विभिन्न गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए व्यय किया जा रहा है।

भू संरक्षण अधिकारी चंबा डॉ. संजीव कुमार मन्हास ने कहा कि फव्वारा सिंचाई प्रणाली स्थापित करने के बाद पानी की बचत होती है इसलिए कम पानी से अधिक क्षेत्रफल में सिंचाई की जा रही है। दूसरा सिंचाई करने में समय की बचत होती है और सही मात्रा में फसल को पानी मिलाने से पैदावार में बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने बताया कि जिला चंबा का भौगोलिक क्षेत्रफल लगभग 692 हज़ार हैक्टेयर है, जिसमे से केवल 41.80 हज़ार हैक्टेयर भूमि पर मक्की, धान व गेहूं की Lavkar अनाज की खेती की जा रही है, लेकिन अब यहां के किसानों का भी नकदी बेमौसमी सब्जियों की और उनका रुझान बढ़ रहा है और लगभग 2200 हैक्टेयर क्षेत्रफल में सब्जी उत्पादन किया जा रहा है। इससे किसानों की आर्थिकी मजबूत हो रही है।

Show More

Related Articles

Back to top button
Hacklinkbetsat
betsat
betsat
holiganbet
holiganbet
holiganbet
Jojobet giriş
Jojobet giriş
Jojobet giriş
casibom giriş
casibom giriş
casibom giriş
xbet
xbet
xbet
kavbet
casibom
casibom giriş
pinbahis
pinbahis giriş
betwoon
matbet
casibom
casibom
casibom
casibom güncel giriş
tiktok video indir
Türkçe Altyazılı Porno
Meritking
Casibom Giriş
deneme bonusu veren bahis siteleri
casino siteleri
slot siteleri
grandpashabet
grandpashabet giriş
bonus veren siteler
grandpashabet
grandpashabet
grandpashabet
casino siteleri
casibom giriş
casibom güncel giriş
casibom
jojobet
jojobet giriş
jojobet güncel giriş
jojobetdeneme bonusu veren sitelerfethiye escortfethiye escortfethiye escortfethiye escortfethiye escortmarsbahismarsbahisdeneme bonusu veren siteleresenyurt escortesenyurt spaesenyurt spabeylikdüzü spaavcılar masaj salonucasibom
Mapseskişehir web sitesiseo fiyatlarıMetafizikMedyumAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika Eşya alanlarAntika Eşya alanlarantikaİzmir Medyumweb sitesi yapımıAntika mobilya alanlarAntika mobilya alanlardijital danışmanlıkmarsbahismarsbahis giriş twittermarsbahis girişmarsbahisantika alımıgoogle ads çalışmasıcasibom güncelmarsbahismarsbahismarsbahiscasibomEskişehir Web Tasarım