पर्यावरण के लिए खतरा है Coca Cola का सबसे ज्यादा बिकने वाला ये ठंडा, 1 अगस्त से होगा ये फैसला लागू
कारोबार डैस्क. दुनिया में तीसरे नंबर का और कोका कोला (Coca Cola) ब्रांड का सबसे ज्यादा बिकने वाला सॉफ्ट ड्रिंक (Soft Drink) स्प्राइट (Sprite) जिस हरे रंग की वजह से खास पहचान रखता था, अब वही हरा रंग मुसीबत की जड़ बन गया। अब से कुछ दिन बाद अगर आप दुकान पर स्प्राइट (Sprite) खरीदने जाएं और दुकानदार आपको स्प्राइट (Sprite) दे भी तो हो सकता है कि हरे रंग की बजाय सफेद पारदर्शी बोतल देखकर आप कह बैठें कि यह नकली है, लेकिन आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। अब स्प्राइट (Sprite) आपको हरी बोतल में मिलेगी भी नहीं। इसकी निर्माता कंपनी कोका कोला (Coca Cola) अब इसे बंद करने जा रही है। जहां तक वजह की बात है, इसी हरे रंग की बोतल को धरती के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक माना जा रहा है।
1886 की एक दोपहर फामासिस्ट जॉन पैम्बर्टन ने अपनी लैब में एक ड्रिंक तैयार की। इस ड्रिंक को वह जैकब फार्मेसी के बाहर लेकर आए। सोडे वाला पानी मिले इस ड्रिंक को वहां खड़े जितने लोगों ने चखा, सभी ने पसंद किया। इसके बाद पैम्बर्टन ने इस ड्रिंक के एक गिलास को पांच सैंट की दर से बेचना तय किया। पैंम्बर्टन के अकाउंटैंट फ्रैंक रॉबिनसन ने इस मिक्चर को कोका-कोला (Coca Cola) नाम दिया। पहले साल सिर्फ 9 ग्लास कोका कोला (Coca Cola) ही बिक पाई। आज दुनियाभर में कोका-कोला (Coca Cola) की करीब 2 अरब बोतलें रोज बिकती हैं। अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से सिर्फ 2 देशों उत्तर कोरिया और क्यूबा में ही कोका कोला (Coca Cola) नहीं खरीदी जा सकती है। हालांकि कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि उत्तर कोरिया में चोरी छिपे ये ड्रिंक बेची गई। आमदन की बात की जाए तो 2021 में कोका कोला (Coca Cola) का सालाना रैवेन्यू 38.66 अरब डॉलर, यानी 3 लाख करोड़ रुपए था।
1961 में अमेरिका में लॉन्च हुई और अब दुनिया की सबसे पॉपुलर सॉफ्ट ड्रिंक में शुमार स्प्राइट (Sprite) को कंपनी ने हरे रंग की बोतल में नहीं बेचने का फैसला किया है। कोका कोला (Coca Cola) ने स्प्राइट (Sprite) की बोतलों का रंग हरा, खुद को बाकी प्रतिद्वंद्वियों से आगे रखने के लिए रखा था। हाल ही में 27 जुलाई को जारी एक बयान में कोका कोला (Coca Cola) ने घोषणा की है कि वह 1 अगस्त से न केवल स्प्राइट, बल्कि फ्रैसका, सीग्राम्स और मेलो यलो समेत उन सभी ड्रिंकिंग प्रोडक्ट्स को क्लियर बोतल में पेश करेगी, जो हरे रंग की बोतल में आते हैं। इसकी शुरुआत नॉर्थ अमेरिका से होगी। धीरे-धीरे भारत समेत दुनियाभर में हरे रंग की बोतलों को क्लियर बोतल से रिप्लेस कर दिया जाएगा। स्प्राइट की हालिया पैकेजिंग में ग्रीन पॉलिथीन टैरैफ्थेलेट यानि PET होता है। हालांकि ग्रीन प्लास्टिक को रिसाइकल किया जा सकता है, लेकिन इससे सिंगल-यूज प्लास्टिक चीजें जैसे-कारपेट या कपड़े ही बन सकते हैं। बोतलें नहीं बनाई जा सकती।
यहां हुई पहल
असल में कोका कोला (Coca Cola) ने 2018 में ‘वर्ल्ड विदआउट वेस्ट’ स्लोगन से नई पहल की थी। इसके जरिये कंपनी का लक्ष्य 2030 तक उसके द्वारा बेची जाने वाली हर बोतल या केन को इकट्ठा करके उसे रिसाइकल करना है। साथ ही इस दौरान कोका कोला जो भी बोतलें बनाएगा, उनमें से 50% बोतलें रिसाइकल मैटीरियल से बनाई जाएंगी। वह इस कदम के चलते कंपनी 2019 की तुलना में 2 करोड़ पाउंड यानि करीब 90 लाख किलो प्लास्टिक को मैन्युफैक्चर करने से बच सकेगी। साथ ही इससे ग्रीन हाउस गैसों के एमिशन में 25 हजार मीट्रिक टन की कमी आएगी। साथ ही यह बात भी उल्लेखनीय है कि कोका कोला (Coca Cola) 2019 में ही यूरोपीय देशों और कुछ साउथ एशियाई देशों में स्प्राइट की हरे रंग की बोतल की जगह ट्रांसपैरैंट बोतलों का इस्तेमाल शुरू कर चुकी है।
2020 में आई पर्यावरण फर्म की रिपोर्ट
अब कोका कोला (Coca Cola) का हालिया कदम उस समय आया है, जब अमेरिका, कनाडा और भारत समेत दुनियाभर के कई देश क्लाइमेट चेंज और समुद्रों को सुरक्षित बनाने के लिए प्लास्टिक कचरे को खत्म करने की कोशिशों में जुटे हैं। 2020 में आई पर्यावरण फर्म ‘ब्रेक फ्री फ्रॉम प्लास्टिक’ की रिपोर्ट में कोका कोला को दुनिया का सबसे ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने वाला ब्रैंड घोषित किया गया था। इस रिसर्च में 51 देशों में कोका कोला (Coca Cola) के लोगो और ब्रैंडिग के 13,834 टुकड़ों को फेंके गए प्लास्टिक के रूप में पाया गया था। कोका कोला के प्लास्टिक कचरे (Plastic Waste) ज्यादातर पार्कों और समुद्र तटों पर पाए गए थे।