देश में तेजी से बढ़ रहा है Blood Painting का चलन; जयललिता की 56 पेंटिंग बनाने वाले इस शख्स को 80 करोड़ के 18 प्लॉट हुए थे अलॉट
नई दिल्ली. आजकल देश में खून से पेंटिंग (Blood Painting) बनाने और बनवाने का खासा क्रेज देखने को मिल रहा है। देश के एक राज्य तमिलनाडु में तो इसे बैन करने तक की नौबत आ गई। शब्द चक्र न्यूज इस कला से जुड़े कुछ रोचक पहलुओं से अपने पाठकों को रू-ब-रू करा रहा है। गजब की बात है कि आज से लगभग 18-19 साल पहले तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रही जयललिता ने ऐसी एक पेंटिंग से प्रभावित होकर एक कराटे कोच को 80 करोड़ की जमीन दिलाने का वादा किया था। इतना ही नहीं, कोरोना संक्रमण की पहली लहर में लोगों की मदद करने पर हीरो के रूप में उभरे फिल्म अभिनेता सोनू सूद की भी पेंटिंग खून से बन चुकी है। आइए इस चलन के पीछे की असल वजह और अन्य अहम पहलुओं के बारे में जानते हैं…
बात 2004 की है, जब 300 से ज्यादा फिल्मों की हीरोइन रह चुकी जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री थी। राज्य की राजधानी चेन्नई में कराटे सिखाने वाले शिहान हुसैनी नामक शख्स ने खून से जयललिता की 56 पेंटिंग बनाई थी। इन पेंटिंग्स से जयललिता इतनी खुश हुई थी कि उन्होंने हुसैनी को अपने घर बुलाया। इतना ही नहीं, एक प्लॉट खरीदने के लिए उसे 80 करोड़ रुपए देने का वादा भी किया था। असल में सोशल वर्क में पोस्टग्रेजुएट हुसैनी ने 1994 में अपने कराटे स्कूल के लिए जयललिता से जमीन की मांग थी।
2004 में उसने जयललिता का अपॉइंटमैंट हासिल करने के लिए अपने खून से ‘अम्मा’ की 56 तस्वीरें बनाई थी। इसके लिए हुसैनी ने मैडिकल ब्रैकग्राउंउ से जुड़े कुछ लोगों की मदद से 1400 लीटर खून इकट्ठा किया था। अपने सीधे हाथ पर 101 कारों को गुजारने वाले हुसैनी के भक्तिभाव से खुश होकर जयललिता ने उसे 18 मैदान अलॉट किए थे, जिनकी कीमत करीब 80 करोड़ थी। हालांकि बाद में डीएमके सरकार ने भूमि आवंटन रद्द कर दिया था। 2013 में हुसैनी ने 11 लीटर जमे हुए खून से जयललिता का धड़ तैयार किया था। इसके लिए उसने 3 महीने पहले से ही अपना खून इकट्ठा करना शुरू कर दिया था, लेकिन सिर्फ 6.5 लीटर खून ही मिल पाया। बाकी 4.5 लीटर खून उसके स्टूडैंट्स ने डोनेट किया था।
फिर 2015 में एआईएडीएमके प्रमुख जे. जयललिता के जन्मदिन से एक दिन पहले शिहान हुसैनी ने खुद को सूली पर लटका लिया था। पेशे से कराटे एक्सपर्ट और तमिलनाडु के तीरंदाजी एसोसिएशन के महासचिव हुसैनी ने कहा था कि वह ‘मां शक्ति’ के रूप में जयललिता की पूजा करता है। हर साल वह जयललिता के जन्मदिन को कुछ नए तरीके से मनाना चाहता है। इस बार शरीर में कील ठुकवाकर उसने मांग की थी कि जयललिता को दोबारा मुख्यमंत्री बनाया जाए।
चलन बढ़ने के बारे में यह है खास तर्क
समाजशास्त्री संजय श्रीवास्तव की मानें तो खून लोगों का ध्यान खींचने का सबसे बेहतर माध्यम है। हमारे देश में खून को वफादारी का सबसे अच्छा मानक माना जाता है। इतना ही नहीं महिलाओं ने माहवारी को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए अपने खून का इस्तेमाल किया है। उधर, ‘हैमैटोलॉजी: बेसिक प्रिंसिपल एंड प्रैक्टिस’ किताब के लेखक जॉन अनास्तासी एमडी का तर्क है कि ब्लड आर्ट एक तरह से प्रोपेगैंडा फैलाने और प्रचार करने के माध्यम के तौर पर इस्तेमाल होता रहा है। ये किसी ताकतवर या सत्ता के शीर्ष पर बैठे इंसान के फैसले लेने की क्षमता को भी बदल सकता है।
अब फिर ऐसे आई ब्लड आर्ट चर्चा में और हो गई बैन
दरअसल, हाल ही में 10 दिसंबर 2022 को चेन्नई के 20 वर्षीय गणेशन की गर्लफ्रैंड का जन्मदिन था। वह इस पर गर्लफ्रैंड को एकदम हटकर कोई गिफ्ट देना चाहता था। उसके एक दोस्त ने उसे ‘ब्लड आर्ट’के बारे में बताया, जिसमें आप अपने खून से अपने किसी भी करीबी की तस्वीर बनवा सकते हैं। इसके बाद गणेशन ऐसे ही एक स्टूडियो में गया। वहां उसने A4 साइज की पेंटिंग बनवाने के लिए 5 मिली लीटर खून दिया।
इसके बाद 28 दिसंबर को पता चला कि तमिलानाडु में गणेशन जैसे सैकड़ों की तादाद में हैं। असल में उस दिन तमिलनाडु के हैल्थ मिनिस्टर एमए सुब्रमण्यम चेन्नई में अचानक एक ब्लड आर्ट स्टूडियो में पहुंचे तो वहां पेंटिंग के लिए रखी खून की शीशियों और नीडिल्स को देखकर उनकी आंखें फटी की फटी रह गई। उन्होंने उसी वक्त स्टूडियो पर बैन लगाने का ऐलान कर दिया। जांच के दौरान पता चला कि स्टूडियो में ब्लड लेने की प्रक्रिया तय प्रोटोकॉल के अनुसार नहीं होती है। यहां एक ही सुई कई लोगों का ब्लड निकालने के लिए यूज होती है। इससे आम लोगों में इनफैक्शन फैलने का खतरा हो सकता है।
मंत्री सुब्रमण्यम ने कहा, ‘कोई व्यक्ति या संस्था खून से पेंटिंग बनाते पाए जाते हैं तो उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी। ब्लड आर्ट दण्डनीय है। ब्लड डोनेशन एक पवित्र कार्य है। ऐसे उद्देश्यों के लिए खून निकालना मंजूर नहीं है। प्यार और स्नेह दिखाने के कई और तरीके हैं। इसमें ब्लड आर्ट को शामिल नहीं किया जाना चाहिए’।
हो सकती हैं ये खतरनाक बीमारियां
उधर, हैल्थ एक्सपर्ट एम वैंकटाचलम बताते हैं कि तमिलनाडु में तेजी से बढ़ रहा ये ट्रैंड चिंता का विषय है। किसी इंसान के शरीर से खून निकालने के लिए केवल लैब टैक्नीशियन, फ्लेबोटोमिस्ट, नर्स या फिजीशियन को ही अनुमति होती है। स्टूडियो में अपना खून निकलवा रहे लोगों का जोखिम समझ से परे है। इससे हैपेटाइटिस-बी, हैपेटाइटिस-सी और HIV जैसी कई तरह की बीमारी फैलने की आशंका है, क्योंकि ये वायरस ब्लड और शरीर के अन्य तरल पदार्थों के माध्यम से ही दूसरे इंसान के शरीर में प्रवेश करते हैं।