Accident था चाय की खोज; 5 हजार साल पहले किसने और कैसे किया था Taste, जानें

‘लैमन टी, ग्रीन टी, ब्लैक टी, मिल्क टी’, न जाने कितनी ही तरह की चाय लोग पीते हैं। मिल्क टी तो एक ऐसी आम जरूरत हो चली है कि इसके बिना तो चिड़िया चीं-चीं कर ले, मुर्गा बांग दे ले या अलार्म शोर मचा-मचाकर थम जाए, सुबह ही नहीं होती। कुछ लोग तो इतने खतरनाक आलसी भी इस दुनिया में हैं कि उन्हें चाय बनाकर कोई बिस्तर पर ही दे दे। इतना ही नहीं, कई बार तो यह दवाई का भी काम कर देती है, लेकिन बावजूद इसके शायद ही कोई जानता होगा कि दुनिया में पहली बार चाय आखिर कैसे बनी थी। आज विश्व चाय दिवस (World Tea Day) पर हम आपको बता रहे हैं इसका अनूठा इतिहास। आइए जानें कि कैसे पहली बार चाय का स्वाद चखना अपने आप में एक हादसा था, मगर हसीन हादसा…
इतिहास में दर्ज कहानियों पर गौर करें तो पता चलेगा ईसा मसीह के जन्म से 2732 बरस पहले चीन के एक शासक शेंग नुंग शिकार के वक्त जंगल में पीने के लिए पानी उबाल रहे थे। अचानक ऊपर से झुकी पेड़ की एक टहनी से कुछ पत्तियां टूटकर उबलते पानी में गिर गई। इसके बाद शेंग नुंग ने देखा कि पानी का रंग बदल गया और उससे सुगंध भी आ रही थी। बात यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि यहां तो जिज्ञासा की एक नई कहानी शुरू हुई थी। राजा ने पत्तियां उबले हुए पानी को पीया तो उन्हें न सिर्फ यह स्वाद में अच्छा लगा, बल्कि शरीर में एक अनोखी सी ताजगी भी उन्होंने महसूस की। कहा जाता है कि नए प्रयोग के साथ गर्म पानी पीने के बाद वह दिनभर तरो-ताजा रहे।
बौद्ध भिक्षओं से भी जुड़ी कहानी
जानकारों की मानें तो इस खुशबूदार स्वादिष्ट गर्म पानी को उन्होंने चा आ नाम दिया। जहां तक इसके मतलब की बात है, चीनी भाषा में चा आ का मतलब परखना या फिर से खोजना होता है। इसके बाद से यह नवाबी ठाठ वाली चीज रही और फिर धीरे-धीरे आम चलन में आ गई। चाय के साथ एक कहानी छठी शताब्दी ईसा बाद की भी जुड़ी हुई है। बताया जाता है कि चीन के हुनान प्रांत में बौद्ध भिक्षु निद्रा को जीतने के लिए एक पेड़ की पत्तियां चबाते थे। इसके बाद वो बरसों तक ध्यान में लीन रहते थे।
ये बातें भी जरूर जानें
आगे चलकर जैसे-जैसे इन पत्तियों को पानी में उबालकर पीने का चलन लोकप्रिय हुआ, लोगों ने तरह-तरह के स्वाद ढूंढ लिए। अब बहुत से तेज मीठे की चाय पीते हैं तो बहुत से अन्य थोड़ा कम मीठे की तो कुछ तो बिना मीठे की चाय भी पीते हैं, लेकिन पीते जरूर हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा 70 प्रतिशत चाय की खपत भारत में ही होती है। 19वीं शताब्दी के पहले 50 साल में ब्रिटेन की औपनिवेशिक नीतियों की बदौलत भारत 2006 तक दुनिया का सबसे बड़ा चाय उत्पादक बना रहा। यह अलग बात है कि अब इसे चीन सबसे ज्यादा उगाता है।