- सुबह 8 बजे वोटों की गिनती शुरू हुई और 1 बजे वोटों की गिनती खत्म हुई तो रिंकू ने की ऐतिहासिक जीत दर्ज, पार्टी खेमे ने पहले ही ढोल-नगाड़े पीटने कर दिए थे शुरू
- 12 बजकर 57 मिनट पर कॉन्ग्रेस के पंजाब प्रदेश प्रधान ने अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने ट्वीट किया-हम जनता के जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करते हैं
जालंधर. पंजाब विधानसभा चुनाव में मैजिक कर लोकसभा से गैरहाजिर हुई आम आदमी पार्टी ने बेइज्जती का बदला ले ही लिया। पार्टी एक बार फिर कहेगी प्रैजेंट सर…। बात हो रही है कॉन्ग्रेस सांसद संतोख चौधरी के निधन के बाद खाली हुई जालंधर लोकसभा सीट के उपचुनाव की। यहां आम आदमी पार्टी उम्मीदवार (AAP Candidate) सुशील कुमार रिंकू (Sushil Kumar Rinku) ने गुरु गुरजीत की टीम को धूल चटाकर लोकसभा उपचुनाव जीत लिया है और इसी के साथ आम आदमी पार्टी की पंजाब टीम एक बार फिर से लोकसभा में हाजिरी लग गई है। कॉन्ग्रेस ने जालंधर उपचुनाव में हार स्वीकार कर ली है। पंजाब कॉन्ग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि हम जनता के जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करते हैं। मैं पार्टी कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों, समर्थकों और सभी को धन्यवाद देता हूं। मैं सुशील रिंकू और आप पार्टी को जीत की बधाई देता हूं।
We humbly accept people’s mandate! I thank party workers, volunteers, supporters and the entire @INCPunjab leadership, for the hard work & efforts put in by them for the #JalandharByElection. I congratulate Sushil Rinku & AAP party for the victory.
— Amarinder Singh Raja Warring (@RajaBrar_INC) May 13, 2023
ऐसे चला आप के अर्जुन का विजय रथ
शनिवार को सुबह 8 बजे वोटों की गिनती शुरू हुई। इसके बाद 8 बजकर 51 मिनट पर आए पहले आंकड़े के मुताबिक पहले राउंड में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुशील रिंकू ने 2600 वोट की बढ़त बना ली थी। बीच-बीच में बढ़त का अंतर ऊपर-नीचे होता रहा, वहीं 11 बजकर 59 मिनट पर यह अंतर 52 हजार वोटों का हो गया। हालांकि इससे काफी देर पहले ही पार्टी खेमे ने ढोल-नगाड़े पीटने शुरू कर दिए थे। इसके बाद साढ़े 12 बजे रिंकू की बढ़त 54,328 वोट हो गई। अब तक रिंकू को 281476, कर्मजीत कौर को 227148, अकाली दल के डॉ. सुखविंदर सुक्खी को 142592, भाजपा के इंदर इकबाल अटवाल को 131481 वोट हासिल हुए थे।
जानें आम आदमी पार्टी के एक मैजिक से हारकर जीतने तक का सफर
ध्यान रहे, पंजाब में 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) मोदी लहर के बीच 13 में से 4 सीटों पर जीत दर्ज कराकर नया कीर्तिमान रचा था। इसके बाद 2019 में सिर्फ भगवंत मान ही पार्टी के इकलौते उम्मीदवार रहे, जो संसद पहुंचे। मार्च 2022 में आम आदमी पार्टी ने पंजाब में 117 में से 92 विधानसभा सीटें जीतकर फिर एक नया इतिहास रच दिया, लेकिन इसके बाद एक बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ा। दरअसल, भगवंत मान को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलने के बाद खाली हुई संगरूर लोकसभा सीट पर उपचुनाव की नौबत आ गई। इसमें शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान को जीत मिली। इसके चलते न सिर्फ आम आदमी पार्टी लोकसभा में Zero हो गई, बल्कि सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ कि एक मुख्यमंत्री के गृहक्षेत्र में पार्टी का कैंडीडेट हार गया। अब 14 जनवरी को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल कॉन्ग्रेस पार्टी के सांसद संतोख चौधरी का निधन हो जाने के बाद जालंधर लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराया गया। इसके लिए नई गोटियां फिट की जा रही थी तो इसी जद्दोजहद में कॉन्ग्रेस नेता सुशील कुमार रिंकू ने हाथ छोड़कर अपने हाथ में आम आदमी पार्टी का झाड़ू थाम लिया। एक सप्ताह बाद ही पार्टी ने रिंकू को लोकसभा उपचुनाव की उम्मीदवारी दे दी।
हर पार्टी ने झाेंकी थी ताकत, गुरु पर थी चेले को हराने की जिम्मेदारी तो बाप की हार का बदला लेने बेटा उतरा
प्रचार में हर पार्टी ने अपने-अपने हिसाब से ताक झोंकी। 10 मई को संसदीय क्षेत्र के कुल 16,21,800 में से सिर्फ 8,87,154 लोगों ने मतदान किया तो फिर इंतजार 13 मई को मतगणना का होने लग गया। यहां रोचक बात यह रही कि एक ओर कॉन्ग्रेस ने सिम्पैथी वोट हासिल करने के लिए मरहूम संतोख चौधरी की पत्नी डॉ. कर्मजीत कौर को मैदान में उतार दिया, दूसरा कॉन्ग्रेस के स्टार प्रचारक कपूरथला के पूर्व विधायक राणा गुरजीत सिंह पार्टी छोड़कर टक्कर में खड़े हो गए सुशील कुमार रिंकू के राजनैतिक गुरु रहे हैं। इस रोचक लड़ाई में जीत किसकी होगी, इसी एक पहलू पर हर किसी की नजर थी। यहां राणा गुरजीत सिंह पर अपने चेले यानि आप के प्रत्याशी सुशील रिंकू को हराकर कॉन्ग्रेस उम्मीदवार कर्मजीत कौर को जिताने की जिम्मेदारी थी। दूसरी ओर थोड़े ही दिन पहले अकाली दल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और उम्मीदवार बने इंदर इकबाल अटवाल वह शख्स हैं, जिनके पिता चरणजीत सिंह अटवाल (पूर्व विधानसभा अध्यक्ष) संतोख चौधरी के मुकाबले हार गए थे। अब बाप की हार का बदला लेने बेटा उतरा हुआ था।