हिमाचल के पहले डिप्टी CM की जन्मभूमि पंजाब तो कर्मभूमि रही है दिल्ली; 20 साल की सफल पत्रकारिता
शिमला. हिमाचल प्रदेश के पहले उपमुख्यमंत्री बने कॉन्ग्रेस नेता मुकेश अग्निहोत्री सिर्फ राजनेता ही नहीं हैं। एक सफल पत्रकार भी रहे हैं। मुकेश अपने पिता के नक्श-ए-कदम पर चल रहे हैं। पहले वह भी जनसंपर्क से जुड़े रहे हैं तो फिर राजनीति में आ गए। ठीक उसी तरह से मुकेश भी जन संपर्क विषय की पढ़ाई करके पहले पत्रकार बने और फिर सीधे विधायक पद से राजनीति में उतरे। इनका पड़ोसी राज्य पंजाब और राजधानी दिल्ली से भी गहरा नाता है। पंजाब मुकेश अग्निहोत्री की जन्मभूमि रही है तो दिल्ली इनका कर्मक्षेत्र रहा है। आइए इनके जीवन को विस्तार से जानते हैं कि किस तरह पत्रकार से राजनेता और अब प्रदेश के पहले उपमुख्यमंत्री बन गए…
मुकेश अग्निहोत्री का जन्म 9 अक्तूबर 1962 को पंजाब के संगरूर में पंडित ओंकार चंद शर्मा के घर हुआ था, जो डीपीआरओ रहे हैं। यह बात उस वक्त की है, जब हरियाणा और हिमाचल प्रदेश दोनों पंजाब का हिस्सा थे। तीन बहनों और दो भाइयों में से एक मुकेश अग्निहोत्री की शुरुआती शिक्षा ऊना जिले में ही हुई। उनके बड़े भाई राकेश अग्निहोत्री पेशे से एक प्रतिष्ठित चिकित्सक हैं। मंडी शहर की जमपल उनकी पत्नी सिम्मी हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में लोक प्रशासन विभाग में प्रोफैसर हैं। विदेश में पढ़ाई कर चुकी बेटी आस्था अग्निहोत्री इस वक्त पीएचडी कर रही हैं। मुकेश अग्निहोत्री ने पहले गणित में एमएससी की, लेकिन फिर पब्लिक रिलेशन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा करके पत्रकार बन गए। इसके बाद करीब दो दशक शिमला और दिल्ली में अपनी सेवाएं दी। मुकेश अग्निहोत्री की दिल्ली में पत्रकारिता के वक्त ही कॉन्ग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से करीबियां बढ़ी और वह पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नजदीकियों में शामिल हो गए।
बताया जाता है कि 1993 में वीरभद्र सिंह जब मुख्यमंत्री बने तो मुकेश अग्निहोत्री के पिता पंडित ओंकार चंद शर्मा को हिमाचल प्रदेश एग्रो पैकेजिंग विभाग का उपाध्यक्ष बनाया गया था। 1998 में कॉन्ग्रेस ने संतोषगढ़ विधानसभा हलके उम्मीदवार बना तो भाजपा प्रत्याशी पंडित जयकिशन शर्मा से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2003 में कॉन्ग्रेस पार्टी ने ओंकार चंद शर्मा की बजाय बेटे मुकेश को उम्मीदवार बनाया तो चुनाव जीतकर वीरभद्र सरकार में मुख्य संसदीय सचिव (CPS) रहे। 2007 में भी संतोषगढ़ से चुनाव जीते तो इसके बाद 2012 में डिलिमिटेशन के कारण संतोषगढ़ ऊना हलके क्षेत्र में चला गया और हरोली नया हलका बना। यहां से चुनाव लड़कर मुकेश अग्निहोत्री ने तीसरी बार जीत दर्ज की और वीरभद्र सरकार में उद्योग मंत्री रहे।
2017 में मुकेश चौथी बार विधासभा पहुंचे, मगर इस बार सत्ता भाजपा के हाथ आई। कॉन्ग्रेस ने 2018 में नेता प्रतिपक्ष बना दिया तो मुकेश अग्निहोत्री ने 4 साल तक जयराम सरकार के खिलाफ जमकर मोर्चा खोला। हालिया विधानसभा चुनाव में पार्टी हाईकमान ने उन्हें स्टार प्रचारक बनाया। प्रदेशभर में उन्होंने दर्जनों रैलियां की। खुद भी जीते और पार्टी को भी जीत दिलवाई। लगातार पांच बार जीतने के बाद वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो गए, लेकिन हाईकमान ने उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से नवाजा है।