शिमला. 68 विधानसभा सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में साफ हो गया कि रिवाज किसी भी सूरत में नहीं बदलेगा। लगातार दूसरी बार बने रहने का सपना लेकर मैदान में उतरी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने रिवाज बदलने की कोशिश तो की, पर कामयाबी नहीं मिल सकी। अब कॉन्ग्रेस ने 40 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर लिया है, वहीं जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर विपक्ष में बैठना स्वीकार कर लिया है।
बता दें कि 1985 से हिमाचल प्रदेश में किसी भी पार्टी की सरकार दो बार लगातार नहीं बन पाई है। भाजपा हो या कॉन्ग्रेस दोनों में से किसी को सूबे की जनता ने सिर पर बिठाकर नहीं रखा है। 1985 में 52 सीटों के साथ कॉन्ग्रेस सत्ता में आई थी। 1990 में भाजपा ने 46 सीट जीतकर सरकार बनाई थी। 1993 में कॉन्ग्रेस, 1998 में भाजपा तो 2003 में कॉन्ग्रेस की सरकार बनी। इसके बाद 2007 में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा सत्ता में रही। 2012 में कॉन्ग्रेस की सरकार बनी तो 2017 में भाजपा ने प्रेम कुमार धूमल का मुख्यमंत्री पद पर बिठाने वाले चेहरे के रूप में प्रस्तुत करके चुनाव जीता। हालांकि उस वक्त यह पद जयराम ठाकुर को दे दिया गया। अब 37 साल पुराने रिवाज को बदलने के लिए भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं कि रिवाज तो आखिर रिवाज है। 68 में से बहुमत के लिए 35 सीटें चाहिए थी और कॉन्ग्रेस ने 40 पर विजय का परचम लहराया है। भाजपा को 25 पर संतोष करना पड़ा। 3 सीटों पर निर्दलीयों को जीत मिली, वहीं पहली बार राजनीति का पहाड़ चढ़ने की आम आदमी पार्टी की कोशिश भी नाकाम रही। पार्टी यहां खाता भी नहीं खोल पाई।
अपनी हार को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने चुनावी नतीजों पर कहा है कि हम जनता का फैसला स्वीकार करते हैं। पांच साल तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व से मिले सहयोग के लिए धन्यवाद करता हूं। राज्य के विकास के लिए हम सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। दूसरी ओर जीत के बाद कॉन्ग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा तलाशने के लिए मंथन शुरू हो चुका है, वहीं है। इसमें हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम पर विचार किया जा रहा है। प्रतिभा सिंह हिमाचल के मंडी से सांसद हैं। वह हिमाचल के पूर्व CM वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं।