7वें दिन भी नहीं हुआ धर्मपाल का अंतिम संस्कार, गिरफ्तार युवकों की जमानत नहीं होने के चलते 93वें दिन भी नहीं उठा धरना
सुलखनी/ खेदड़ (हिसार). हिसार के खेदड़ में सरकार के सभी मांग मान लिए जाने के भरोसे के बावजूद गुरुवार को 93वें दिन भी धरना पहले की तरह जारी रहा। हालांकि इस मामले में प्रदर्शन् के दौरान गिरफ्तार चारों युवा अमन, सुनील, मनदीप और अनिल की जमानत के प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन आज जमानत नहीं मिल सकी है। साथ ही आज 7वें दिन भी शहीद धर्मपाल का दाह-संस्कार नहीं हो सका। इसी के चलते आंदोलनकारियों ने अपना रुख कल हुए समझौते में तय होने के चलते पहले की तरह साफ रखा है कि जब तक चारों साथियों की जमानत नहीं हो जाती, तब तक शहीद धर्मपाल का शव साथ रखकर धरना सुचारू रूप से चलता रहेगा।
बता दें कि खेदड़ स्थित स्थित राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट (Rajiv Gandhi Thermal Power Plant) की राख उठाने का काम गोशाला को दिए जाने की मांग को लेकर ग्रामीण यहां पावर प्लांट के गेट पर धरना जमाए बैठे थे। इस बीच कई बार अहम बैठकें हुई। कई फैसले लिए गए और इन्हीं में से एक फैसला बीती 8 जुलाई को पावर प्लांट को जाती रेलवे लाइन पर बैठकर वहां कोयले की सप्लाई रोक देने का भी हुआ। इसके बाद जैसे ही आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर ये लोग रेलवे लाइन की तरफ बढ़े, भारी तादाद में तैनात पुलिस बल के साथ टकराव हो गया। नौबत लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले तक इस्तेमाल करने की आ गई।
इस खींचतान के माहौल में गांव के धर्मपाल नामक एक व्यक्ति की मौत हो गई, वहीं पुलिस और आंदोलनकारी दोनों पक्षों के बहुत से लोग चोटिल भ्री हुए थे। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने जब 10 लोगों को नामजद करते हुए कुल 810 के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कर लिया और चार को गिरफ्तार भ्री कर लिया तो ग्रामीणों का गुस्सा और भी बढ़ गया। ऐसा होना स्वाभाविक सी बात थी। भले ही प्रशासन की तरफ से दलील दी गई कि धर्मपाल की मौत आंदोलनकारियों के ट्रैक्टर के नीचे कुचले जाने से हुई है, लेकिन ग्रामीणों का आरोप था कि वह (धर्मपाल) पुलिसिया कार्रवाई में मारे गए हैं। बावजूद इसके उल्टा हमारे ही साथियों पर 302 और 307 की धाराओं में केस दर्ज कर दिए गए। प्रशासन की मानसिकता में खोट है।
बुधवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार एक पुलिस प्रशासन ने पूरे इंतजाम कर रखे थे, दूसरी ओर नाराज किसानों ने अपना रूप दिखाया। इन्होंने ट्रैक्टरों की मदद से यहां लगाए गए बैरिकेड्स को घसीटकर एक साइड कर दिया। इसके बाद दोनों पक्षों में भारी टकराव की आशंकाएं प्रबल थी, लेकिन गनीमत रही कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। आंदोलनकारियों ने प्रशासन को शाम 4 बजे तक का अल्टीमेटम दिया और आखिर करीब सवा 6 बजे के बाद राहतभरी खबर खेदड़ से आ ही गई।