हिमाचल के भविष्य पर ध्यान दे सुक्खू सरकार; विद्या के इस मंदिर में ‘क-ख-ग’ की जगह कभी गूंज सकता है चीत्कार
राजेन्द्र ठाकुर/चम्बा
मंदिर में भजन कीर्तन और विद्या के मंदिर में ‘क-ख-ग… या दो एकम दो-दो दूनी चार…’ ही अच्छे लगते हैं। अगर यहां रुदन सुनने को मिले तो किसको अच्छा लगेगा। हर किसी का एक ही जवाब होगा-किसी को भी नहीं तो फिर हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार न जाने क्यों ऐसे मौके का इंतजार कर रही है। आकांक्षी जिला चम्बा के एक राजकीय प्राथमिक विद्यालय में ‘क-ख-ग… या दो एकम दो-दो दूनी चार… की बजाय कभी भी गूंज सकता है चीत्कार’।
बता दें कि चम्बा मुख्यालय से लगती राजपुरा पंचायत के राजकीय प्राथमिक पाठशाला फौलगत की बिल्डिंग बेहद बुरी हालत में है। इसका लैंटर ऊपर-नीचे दोनों तरफ से पूरी तरह से खराब हो चुका है। छत लोहे के सरिये बार-बार तांका-झांकी करके मन को डराते रहते हैं। न टीचर्स मन से पढ़ा पाते हैं और न ही बच्चे सुकून से पढ़ सकते हैं। इसके अलावा घर वाले भी इस हालत से वाकिफ होने के बाद हर वक्त चिंता में लगे रहते हैं और भगवान से प्रार्थना करते रहते हैं कि दिन के इस उजाले में उनके कुल का दीपक सही-सलामत रौशन रहे।
इस अव्यवस्था की जानकारी मिलने के बाद जब शब्द चक्र न्यूज की टीम मौके पर पहुंची तो पता चला कि लोग अपने-अपने बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके प्राणों की रक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। यहां मौजूद महिला-पुरुषों ने स्कूल की इस हालत दिखाई। स्थानीय लोगों ने बताया कि प्राइमरी स्कूल को बने 40 साल के ज्यादा बीत चुके हैं। नतीजा, यह जगह-जगह से कंडम हो चुका है। छत कभी भी गिर सकती हैं। यहां बच्चों के कमरे में खेलने का सामान रखा है और जब भी बच्चे वहां खेलने के लिए जाते तो उन्हें हमेशा ही खतरा रहता है। कमरों की दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें भी साफ तौर पर देखी जा सकती हैं। लैंटर ऊपर से भी पूरी तरह से टूटा हुआ है, जो बारिश के दिनों में लेटर से पानी टपकता है। टपकती छत पर सीमेंट बिछाया गया, लेकिन वह धीरे-धीरे उखड़ रहा है। कुल मिलाकर भवन की हालात पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। इसकी शिकायत लोगों ने कई बार विभाग और राजनीतिज्ञों से की, लेकिन अभी तक उन्हें आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला।
स्कूल में पढ़ने आए छोटे-छोटे बच्चों ने कहा कि उन्हें हमेशा ही खतरा रहता है। बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है। सरकार को जल्द से जल्द स्कूल की मरम्मत करानी चाहिए। स्कूल के प्रबंधन समिति के अध्यक्ष व महिलाओं ने बताया कि स्कूल के कमरों की हालत खराब है। उन्होंने विभाग को पहले भी सूचित किया था, लेकिन विभाग उन्हें आश्वासन दे रहा है और पांच लाख की राशि की स्वीकृति की बात तो कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उनके पास कोई भी राशि नहीं पहुंची है। जल्द से इस स्कूल के मरम्मत का कार्य शुरू किया जाए। वहीं जब इस मामले पर शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारी से बात करने की कोशिश गई तो उन्होंने स्कूल की मरम्मत के लिए पांच लाख राशि मंजूर कर दिए जाने की बात कही। हालांकि यह पहले ही साफ हो चुका है कि गांव में स्कूल का प्रबंधन देख रही पंचायत के पास यह फंड अभी तक नहीं पहुंचा है। ऐसे में अब देखना यह होगा कि क्या बच्चे ऐसे ही खतरे के साये में पढ़ने को मजबूर रहेंगे? अगर हां तो आखिर कब तक?