मिंजर मेला 2023: पंजाबी, सूफी, हिमाचली और चंबियाली कलाकार करेंगे दर्शकों का मनोरंजन
- लास्ट स्टार नाइट सुप्रसिद्ध सूफी गायक कैलाश खैर के नाम, एक दिन पहले लखविंदर बडाली मचाएंगे धमाल
- सुनील राणा, इशांत भारद्वाज, कुमार साहिल, शिल्पा सुरोच और काकू राम जैसे हिमाचली गायक देंगे प्रस्तुति
चम्बा (राजेन्द्र ठाकुर). हिमाचल प्रदेश में रावी और साल नदियों के बीच बसे खूबसूरत नगर चंबा के ऐतिहासिक मैदान पर आज से शुरू हो रहे आठ दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेले में पंजाबी, सूफी, हिमाचली और चंबियाली कलाकार लोगों का मनोरंजन करेंगे। इनमें 30 जुलाई को मेले की अंतिम संध्या में सुप्रसिद्ध सूफी गायक कैलाश खैर अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगे। वहीं 29 जुलाई को मेले की सैकंड लास्ट संध्या में पंजाबी गायक लखविंदर बडाली धमाल मचाएंगे। मेले की पहली संध्या दीक्षा तूर के अलावा चंबा के मशहूर गायक काकू राम चौहान के नाम रहेगी।
मेले की तैयारियों को लेकर हुई बैठक के बाद उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि चंबा सहित मेले में पहुंचने वाले विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की च्वाइस को ध्यान में रखने के साथ मेला कमेटी और कई बुद्धिजीवियों से बात करने के बाद संगीतकारों का चयन किया गया है। मेले की अंतिम संध्या सूफी गायक कैलाश खैर इससे पहले लखविंदर बडाली के अलावा हिमाचली व चंबयाली गायब लोगों का मनोरंजन करेंगे।
मेले की पहली संध्या दीक्षा तूर के अलावा चंबा के मशहूर गायक काकू राम चौहान के नाम रहेगी। इसके इलावा आठ दिनों तक चलने वाले मैले के प्राइम टामइ में हिमाचली सुप्रसिद्ध गायक इशांत भारद्वाज, सुनील राणा, शिल्पा सुरोच, दीक्षा तूर, जितेंद्र पंकज, केएस प्रेमी, नरेंद्र राही, अरविंद ढढवाल, फौलादी बैंड भी अपनी सुरीली आवाज के रंगे भरेंगे। हिमाचली कलाकारों के अलावा कई अन्य नन्हे, मंझोले और बड़े संगीतकार के अलावा लोक नृतक दल भी प्रस्तुति देंगे। अन्य राज्यों नृतक व सांस्कृतिक दल भी मिंजर मंच पर प्रस्तुतियां देंगे। 30 जुलाई को मेले की अंतिम संध्या में सुप्रसिद्ध सूफी गायक कैलाश खैर अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगे। वहीं 29 जुलाई को मेले की सैकंड लास्ट संध्या में पंजाबी गायक लखविंदर बडाली धमाल मचाएंगे।
कुजड़ी महल्हार से होगा आगाज
आपसी भााईचारे व प्रेम के प्रतीम मिंजर महोत्सव का आगाज हर वर्ष की भांति इस बार भी परंपराओं के तहत होगा। मिंजर के आगाज की अन्य रस्मों व रीति के अलावा मिंजर मंच का आगाज भी पारंपरिक कुजड़ी मल्हार गायन से होगा। कुंजड़ी मल्हार चंबा के पारंपरिक लोक गायन हैं। जो कि हर दिन मिंजर मंच के शुरू में गाए जाएंगे। राजाओं के शहर चंबा में सावन माह के दूसरे रविवार को लगने वाले मिंजर मेले की संध्या पहर यह गीत गाए जाते थे। यह प्रथा आज भी उसी तरह से कामय है।
12 बजे तक रहेगी अंतिम संध्या
मेले की अंतिम सांस्कृतिक संध्या 12 बजे तक चलेगी। जबकि अन्य संध्याएं 10 बजे तक ही आयोजित की जाएंगी। कुल साल पहले मिंजर मेले की सभी संध्याएं रात 12 बजे तक चलती थी, लेकिन बाद में प्रशासन व सरकार ने सात संध्याओं के कार्यक्रम को दस बजे तक कर दिया, जबकि अंतिम संध्या 12 बजे तक चलती है।